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Saturday, November 8, 2025
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रावलपिंडी और इस्लामाबाद में आटे की कमी, धीरे-धीरे बंद हो रहे तंदूर, क्या पाकिस्तान में लगेगी फूड इमरजेंसी? , पाकिस्तान समाचार पंजाब गेहूं आपूर्ति प्रतिबंध ने रावलपिंडी इस्लामाबाद को गंभीर आटा संकट के किनारे पर धकेल दिया


पाकिस्तान समाचार: रावलपिंडी और इस्लामाबाद में आटे का संकट गहराता जा रहा है. पंजाब खाद्य विभाग द्वारा अचानक दोनों शहरों की मिलों को गेहूं की आपूर्ति बंद करने के बाद स्थिति और खराब हो गई है. इस कदम के बाद फ्लोर मिल्स एसोसिएशन ने सोमवार से आटे की सप्लाई बंद करने का ऐलान कर दिया है, जिससे पाकिस्तान के इन जुड़वां शहरों में खाद्य आपातकाल जैसी स्थिति पैदा होने की आशंका बढ़ गई है.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, डीलरों, तंदूर मालिकों और किराना स्टोरों द्वारा दिए गए गेहूं, आटा और मैदा के सभी ऑर्डर शुक्रवार रात से रद्द कर दिए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बाजारों में आटे की तत्काल कमी हो गई है। रावलपिंडी फ्लोर मिल्स एसोसिएशन ने संकट पर चर्चा के लिए एक आपातकालीन बैठक की, जिसकी अध्यक्षता संरक्षक-प्रमुख शेख तारिक सादिक ने की। बैठक में भाग लेने वालों ने पंजाब सरकार के उस फैसले की आलोचना की जिसके तहत रावलपिंडी और इस्लामाबाद की मिलों के लिए गेहूं परमिट बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि ये दोनों शहर पूरी तरह से पंजाब के गेहूं उत्पादक क्षेत्रों पर निर्भर हैं.

एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि यदि गेहूं परमिट तुरंत बहाल नहीं किया गया, तो आटा उत्पादन और वितरण रुक जाएगा, जिससे संकट और भी बदतर हो सकता है। संगठन ने पंजाब खाद्य विभाग से अपने गलत और जल्दबाजी में लिए गए फैसले को वापस लेने की अपील की है. साथ ही चेतावनी दी कि अगर आपूर्ति में व्यवधान जारी रहा तो यह स्थिति राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में मानवीय संकट का रूप ले सकती है.

आटे की बढ़ती कीमत

इस बीच, पाकिस्तान बेकर्स एसोसिएशन ने भी सरकार की आटा मूल्य निर्धारण नीति की अपनी आलोचना दोहराई है। एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष शफीक कुरैशी ने कहा कि शाहबाज शरीफ और मरियम नवाज सरकार के शुरुआती दिनों में लाल आटे की 79 किलो की थैली की कीमत 5,500 पाकिस्तानी रुपये थी, जो अब बढ़कर 11,000 रुपये हो गई है. वहीं, मैदा की कीमत 6,200 रुपये से बढ़कर 12,600 रुपये हो गई है.

तंदूरों पर कार्रवाई की जा रही है

क़ुरैशी ने इसे सरकारी दमन बताया और कहा कि 1 अक्टूबर से अब तक दर्जनों तंदूर ध्वस्त कर दिए गए हैं, 79 को सील कर दिया गया है और 100 से अधिक मालिकों पर 25,000 रुपये से 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि गेहूं आपूर्ति की लचर प्रबंधन व्यवस्था पर ध्यान देने की बजाय प्रशासन अपना गुस्सा तंदूर मालिकों पर उतार रहा है.

एसोसिएशन ने एक औपचारिक अनुरोध भी प्रस्तुत किया है, जिसमें मूल्य नियंत्रण समिति की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की गई है, ताकि रोटी की कीमतों को मौजूदा आटे की दरों के अनुरूप समायोजित किया जा सके। संगठन ने चेतावनी दी कि जनता का धैर्य और रोटी का खर्च वहन करने की क्षमता अब टूटने के कगार पर है.

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