अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में धूमधाम से दिवाली मनाई. इस खास मौके पर उन्होंने अमेरिका में बसे भारतीयों और भारतीय समुदाय को हार्दिक बधाई संदेश भेजा. ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी नेताओं और अन्य मेहमानों के साथ दीप जलाए. कार्यक्रम में एफबीआई प्रमुख काश पटेल, खुफिया एजेंसी प्रमुख तुलसी गबार्ड, अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और भारत में अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर जैसे प्रमुख लोग शामिल हुए। ट्रंप ने अपने संदेश में दिवाली को बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अज्ञानता पर बुद्धिमत्ता की जीत का प्रतीक बताया.
ट्रंप ने अपने दिवाली संदेश में क्या कहा?
ट्रंप ने कहा, “भारत के सभी नागरिकों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं। आज ही मेरी आपके प्रधानमंत्री से फोन पर चर्चा हुई। बातचीत बहुत सकारात्मक रही। हमने व्यापार संबंधों के बारे में विस्तार से बात की…वह इसे लेकर बहुत उत्साहित हैं। हाल ही में हमने पाकिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा की, जिसमें युद्ध से बचने पर जोर दिया गया। यह व्यापार चर्चा के दौरान ही संभव हो सका। पीएम मोदी एक असाधारण व्यक्तित्व हैं और वह कई वर्षों से मेरे करीबी दोस्त रहे हैं। दीपक की रोशनी।” हमें कड़ी मेहनत, ज्ञान अर्जन और जीवन के हर आशीर्वाद के लिए कृतज्ञता सिखाता है।”
मध्य पूर्व शांति और हमास पर ट्रम्प की टिप्पणियाँ
ट्रंप ने आगे कहा, “हम वैश्विक स्तर पर शांति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं…सभी को एकजुट कर रहे हैं। अभी मध्य पूर्व से फोन आया, जहां हमारी प्रगति शानदार है। कई देशों ने वहां शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो पहले कल्पना से परे थे। हमास के लोग बहुत आक्रामक हैं। हम इसे कुछ ही मिनटों में हल कर सकते हैं। उन्हें एक मौका दिया गया है। उन्होंने वादा किया था कि वे शांति से व्यवहार करेंगे और कोई भी नहीं मरेगा। अगर वे इस वादे का पालन नहीं करते हैं, तो वे तेजी से समाप्त हो जाएंगे।” मध्य पूर्व अब पूरी तरह शांतिपूर्ण है, सभी देश आपसी मित्रता बनाए रख रहे हैं. जहां पहले नफरत थी, वहां अब प्यार का माहौल है. किसी ने भी इस ऐतिहासिक बदलाव की उम्मीद नहीं की थी।”
पीएम मोदी से बातचीत का दावा: भारत का खंडन
पीएम ने एक हफ्ते पहले दावा किया था कि उनकी पीएम मोदी से फोन पर चर्चा हुई थी, जिसमें मोदी ने रूस से कच्चे तेल का आयात बंद करने का आश्वासन दिया था. ट्रंप ने इसे यूक्रेन संघर्ष में रूस को अलग-थलग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. हालाँकि, भारत सरकार ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ”दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर कोई बातचीत नहीं हुई.”