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Friday, November 7, 2025
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चीन ने मिसाइल फैक्ट्रियों का विस्तार किया: गांवों और खेतों को हटाकर मिसाइल फैक्ट्रियां क्यों बना रहा है चीन? सैटेलाइट तस्वीरों में बड़ा खुलासा, अमेरिका को घेरने की तैयारी!


चीन ने मिसाइल कारखानों का विस्तार किया: चीन पिछले कुछ सालों से चुपचाप अपनी मिसाइल उत्पादन क्षमता को तेजी से बढ़ा रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, नई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि 2020 के बाद से चीन ने अलग-अलग हिस्सों में मिसाइल उत्पादन केंद्रों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया है। आश्चर्य की बात यह है कि कई स्थान, जो पहले गाँव और कृषि भूमि थे, अब सैन्य परिसरों में बदल दिए गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के पास 136 साइटें हैं, जो उसके रॉकेट फोर्स (PLARF) और रक्षा उत्पादन से संबंधित हैं। इनमें से 60 फीसदी जगहों पर व्यापक विस्तार चल रहा है. तस्वीरों में कई नई फैक्ट्रियां, ऊंचे टावर, टेस्टिंग सेंटर और बंकर नजर आ रहे हैं। कुछ जगहों पर मिसाइल के हिस्से खुले में रखे दिखे. 2020 से 2025 के बीच इन साइटों का निर्माण क्षेत्र करीब 20 लाख वर्ग मीटर बढ़ गया है.

चीन महाशक्ति बनने की दिशा में निर्णायक कदम उठा रहा है- विशेषज्ञ

पेसिफिक फोरम के सीनियर फेलो और पूर्व नाटो आर्म्स कंट्रोल डायरेक्टर विलियम एल्बर्क ने इस विस्तार को एक बड़ा संकेत माना है। उन्होंने कहा कि चीन के महाशक्ति बनने की दिशा में यह एक निर्णायक कदम है. हम हथियारों की एक नई होड़ देख रहे हैं। चीन इस दौड़ में भाग ले चुका है और अब मैराथन की तैयारी कर रहा है।

चीन ने मिसाइल कारखानों का विस्तार किया: शी जिनपिंग की सैन्य रणनीति

2012 में सत्ता संभालने के बाद से, शी जिनपिंग ने पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) को “विश्व स्तरीय लड़ाकू बल” बनाने के अपने लक्ष्य को लगातार दोहराया है। उनकी रणनीति में रॉकेट फोर्स (PLARF) बहुत महत्वपूर्ण है। वह इसे चीन की “राष्ट्रीय सुरक्षा की ढाल” और “रणनीतिक शक्ति का आधार” कहते हैं। PLARF चीन के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम का मुख्य केंद्र है।

ताइवान पर हमला? अमेरिका को रोकने की तैयारी

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि चीन का यह मिसाइल विस्तार सिर्फ रक्षा के लिए नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध ताइवान से है। विश्लेषकों के मुताबिक, चीन इन मिसाइलों की मदद से ऐसा इलाका बनाना चाहता है, जहां अमेरिकी नौसेना आसानी से प्रवेश न कर सके। सीएनए थिंक टैंक विश्लेषक डेकर एवेलेथ के मुताबिक, चीन ताइवान के बंदरगाहों, हेलीपैड और सप्लाई बेस को निशाना बनाकर ऐसा माहौल तैयार करेगा कि अमेरिका या उसके सहयोगी कोई मदद नहीं भेज सकेंगे. इस रणनीति को एंटी-एक्सेस/एरिया डेनियल ज़ोन कहा जाता है।

अमेरिका पर दबाव बढ़ा

एक ओर जहां चीन तेजी से मिसाइलों का निर्माण कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के THAAD मिसाइल इंटरसेप्टर स्टॉक का 25% पहले ही यूक्रेन और इज़राइल को सहायता में इस्तेमाल किया जा चुका है। इसके बाद अमेरिका ने उत्पादन बढ़ाने के लिए लॉकहीड मार्टिन को 2 अरब डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट दिया है. THAAD मिसाइल की लागत 12.7 मिलियन डॉलर (यानी लगभग 106 करोड़ रुपये) है और इसके निर्माण में भी कई महीने लग जाते हैं।

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