- समस्या 1: कई शिक्षकों के पास महंगे स्मार्टफोन नहीं हैं।
- समस्या 2: हर महीने डेटा पैक ख़रीदना,
- समस्या 3: मोबाइल को रोज चार्ज रखना
- समस्या 4: ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में नेटवर्क कनेक्टिविटी का अभाव
जबलपुर: मध्य प्रदेश में शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति के लिए अनिवार्य किए गए ‘हमारा शिक्षक ऐप’ का विवाद हाई कोर्ट पहुंच गया है। राज्य के विभिन्न जिलों के 27 शिक्षकों ने इस व्यवस्था को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है, जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई. याचिका में ऐप के इस्तेमाल में व्यावहारिक दिक्कतों का हवाला देते हुए इसे बंद करने की मांग की गई है.
स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ‘हमारा शिक्षक ऐप’ के माध्यम से ई-अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले के खिलाफ जबलपुर निवासी मुकेश सिंह बरकड़े समेत 27 शिक्षकों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
शिक्षकों ने ये व्यवहारिक समस्याएं गिनाईं
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अंशुमान सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस ऐप के जरिए हाजिरी लगाने में कई दिक्कतें आ रही हैं. उन्होंने तर्क दिया कि कई शिक्षकों के पास महंगे स्मार्टफोन नहीं हैं. इसके अलावा हर महीने डेटा पैक खरीदना, मोबाइल को रोजाना चार्ज रखना और खासकर ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में नेटवर्क कनेक्टिविटी की कमी बड़ी समस्या है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐप में सर्वर और फेस रिकग्निशन जैसी तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं. शिक्षकों का आरोप है कि जो शिक्षक एप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रहे हैं, विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा उनका वेतन रोकने की धमकी देकर एप का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. शिक्षकों की मांग है कि या तो बायोमीट्रिक मशीन लगाई जाए या फिर रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था पहले की तरह बहाल की जाए।
कोर्ट ने दोनों पक्षों से जवाब मांगा
मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने सभी याचिकाकर्ता शिक्षकों को व्यक्तिगत शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है. हलफनामे में उन्हें बताना होगा कि क्या उन्होंने ऐप के जरिए अटेंडेंस लगाने की कोशिश की थी और क्या नेटवर्क समस्या के कारण वे ऐसा करने में असमर्थ रहे.
साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को शपथ पत्र पर अपना जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य में 73 फीसदी शिक्षक इस ऐप का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर कोर्ट ने सरकार से अपने दावे के समर्थन में दस्तावेजी रिकॉर्ड पेश करने को कहा है. इसके अलावा यह भी डेटा मांगा गया है कि याचिकाकर्ता शिक्षक किन स्कूलों में तैनात हैं और क्या वहां अन्य कर्मचारी ई-अटेंडेंस दर्ज करा पा रहे हैं या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को तय की गई है.
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट



