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Friday, October 24, 2025
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E-Atendance in Schools: स्कूलों में ई-अटेंडेंस के खिलाफ टीचर का ‘वायरल जवाब’, जताया निजी डेटा लीक होने का खतरा, HC पहुंचा मामला


जबलपुर: एमपी में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करना चाहती है. इसीलिए राज्य के स्कूलों में ई-अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन इसके लिए बनाया गया ‘हमारा शिक्षक मोबाइल ऐप’ विवाद का कारण बन गया है. शिक्षकों को डर है कि मोबाइल ऐप से निजी जानकारी लीक हो सकती है और वे इसे निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बता रहे हैं. इसलिए शिक्षा विभाग ई-अटेंडेंस के जरिये ही उपस्थिति दर्ज करने के आदेश पर अड़ा हुआ है.

इधर मामला एक याचिका के जरिए हाई कोर्ट भी पहुंच गया है, जिस पर जबलपुर हाई कोर्ट ने भी शिक्षकों और राज्य सरकार से शपथ पत्र पर जवाब मांगा है. देखिए एमपी में शिक्षकों की ई-अटेंडेंस पर क्यों और कैसे मचा है हंगामा.

स्कूल टीचर ज्योति पांडे का लेटर हुआ वायरल

स्कूलों में ई-अटेंडेंस, शासकीय महाराजपुर स्कूल जबलपुर की शिक्षिका ज्योति पांडे ने पत्र लिखा है। यह पत्र शिक्षिका को ई-अटेंडेंस न लगाने पर दिए गए कारण बताओ नोटिस का जवाब है, जिसमें उन्होंने ई-अटेंडेंस न लगाने के कई कारण गिनाए हैं। सबसे पहले जवाब में कहा गया है कि शिक्षिका को सरकारी नहीं बल्कि अपने निजी मोबाइल फोन से ई-अटेंडेंस लगानी होगी, जिससे उनकी निजी फोटो, वीडियो और डेटा लीक होने की संभावना है और यह उनकी निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.

कारण बताओ नोटिस के जवाब में शिक्षिका ने सरकारी गारंटी मांगी है कि उनके खिलाफ कोई साइबर अपराध या धोखाधड़ी नहीं की जाएगी और तब तक ई-अटेंडेंस न लगाने को कहा है. शिक्षा विभाग को दिया गया यह जवाब सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया, साथ ही राज्य शिक्षक संघ भी इसके समर्थन में आ गया. विभाग ने ई-अटेंडेंस के जरिए निजता के अधिकार के उल्लंघन के तर्क को सही ठहराया और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर हमारे शिक्षक ऐप पर शिक्षा विभाग से स्पष्टीकरण की मांग की.

शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस को हाईकोर्ट में चुनौती दी

इस बीच, राज्य के 27 शिक्षकों ने भी ई-अटेंडेंस को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. याचिकाओं में कहा गया है कि हमारे टीचर ऐप में एक नहीं बल्कि कई तकनीकी खामियां हैं. याचिका में नेटवर्क कनेक्टिविटी की कमी, मोबाइल बैटरी खराब होने और डेटा पैक खरीदने की मजबूरी का हवाला देते हुए ग्रामीण इलाकों में ई-अटेंडेंस पर रोक लगाने की मांग की गई है। हाई कोर्ट ने इन याचिकाओं पर याचिकाकर्ता शिक्षकों और राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग से हलफनामे पर जवाब भी मांगा है. हाईकोर्ट ने उन स्कूलों का डेटा तलब किया है जहां शिक्षक ई-अटेंडेंस कर रहे हैं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर तय की है.

ई-अटेंडेंस पर हंगामे पर गरमाई सियासत

उधर, ई-अटेंडेंस पर मचे बवाल पर सियासत भी गरमा गई है. जहां बीजेपी कह रही है कि स्कूलों में अनुशासन और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए ई-अटेंडेंस जरूरी है, वहीं कांग्रेस ई-अटेंडेंस का विरोध कर रहे शिक्षकों के साथ खड़ी हो गई है.

तीसरी ओर, राज्य का स्कूल शिक्षा विभाग ई-अटेंडेंस को स्कूली शिक्षा व्यवस्था और गुणवत्ता में सुधार के लिए मील का पत्थर बता रहा है. हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य के 73 फीसदी शिक्षक ई-अटेंडेंस कर रहे हैं, लेकिन बाकी 27 फीसदी शिक्षक नेटवर्क कनेक्टिविटी या तकनीकी दिक्कतों से जूझ रहे हैं. इस मामले पर गरमाई राजनीति के बीच अब हाईकोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार है, जिससे यह साबित होगा कि ई-अटेंडेंस लगाने में शिक्षकों का विरोध सिर्फ बहाना है या ठोस मुश्किलें.

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