भोपाल: मध्य प्रदेश में सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में 1 नवंबर 2025 अब से कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए चेहरा पहचान आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली अनिवार्य कर दी जाएगी। इस नई व्यवस्था का सीधा असर कर्मचारियों की सैलरी पर पड़ेगा.
नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक अब दफ्तरों में पुरानी व्यवस्था के तहत हाजिरी नहीं लगेगी. सभी कर्मचारियों को अपनी उपस्थिति बायोमेट्रिक मशीन के माध्यम से ही दर्ज करानी होगी। इस कदम का उद्देश्य कार्य प्रक्रिया में सुधार करना और कर्मचारियों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करना है।
बायोमेट्रिक अटेंडेंस सीधे वेतन से जुड़ी होगी
इस सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि यह सीधे तौर पर कर्मचारियों के वेतन भुगतान से जुड़ा है. सभी कर्मचारियों का उपस्थिति डेटा ‘ई-नगर पालिका 2.0’ पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा। महीने के अंत में इस पोर्टल पर उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर वेतन तैयार किया जाएगा. विभाग ने साफ कर दिया है कि काम पर नहीं आने वाले या लगातार देर से पहुंचने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा, पारदर्शिता बढ़ेगी
सरकारी दफ्तरों में अक्सर फर्जी हाजिरी और कर्मचारियों के समय पर न पहुंचने की शिकायतें मिलती रहती हैं। इस नई तकनीक से ऐसी गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगने की उम्मीद है. ऐसा विभागीय सूत्रों का मानना है चेहरा पहचान प्रणाली से कर्मचारियों की वास्तविक उपस्थिति की निगरानी करना आसान हो जाएगाजिससे जवाबदेही बढ़ेगी और सरकारी कामकाज में तेजी आएगी.
30 अक्टूबर तक आधार लिंक कराना अनिवार्य है
इस नई प्रणाली को सुचारू रूप से लागू करने के लिए सभी कर्मचारियों को 30 अक्टूबर 2025 तक अपना डेटा आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली से जोड़ना होगा। कर्मचारियों और अधिकारियों से अपील की गई है कि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने आधार विवरण को अपडेट कर लें, ताकि 1 नवंबर से नई प्रणाली में उन्हें किसी भी तकनीकी समस्या का सामना न करना पड़े।



