बिजली कंपनी ने किसानों को दस घंटे से अधिक बिजली देने पर संबंधित कृषि फीडर के कर्मचारी/अधिकारी पर जुर्माना लगाने और उसके वेतन से वसूली करने का विवादास्पद आदेश वापस ले लिया है। कंपनी ने यह फैसला मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आदेश के बाद लिया. इस आदेश को जारी करने वाले अधिकारी का भी तबादला कर दिया गया है. इसके अलावा कंपनी ने 2020 में किसानों को 10 घंटे बिजली देने का ऑर्डर भी रद्द कर दिया है.
मंगलवार 3 नवंबर को मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी यानी एमपीएमकेवीवीसीएल के प्रबंध निदेशक कार्यालय भोपाल से जारी एक आदेश ने न सिर्फ प्रदेश की सियासत गरमा दी बल्कि विवाद भी खड़ा कर दिया, आदेश मीडिया में प्रकाशित होने के बाद कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नाराजगी के बाद बिजली कंपनी ने आदेश रद्द कर दिया. इतना ही नहीं, 5 साल पहले 2020 में दिए गए इससे संबंधित आदेश को भी रद्द कर दिया गया, जबकि जिन लोगों ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर आदेश जारी किया था. सीजीएम एके जैन को भी उनके विभाग से हटाकर दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया.
बिजली कंपनी ने आदेश में यह बात कही थी
दरअसल, मंगलवार को मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक ट्रांसमिशन/मेंटेनेंस एके जैन के हस्ताक्षर से एक आदेश जारी किया गया, जिसमें 31 अगस्त 2020 को जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि किसानों को यानी कृषि फीडरों पर 10 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं दी जाए. कंपनी ने इसमें संशोधन करते हुए इस आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित फीडर के ऑपरेटर, जेई, डीजीएम, जीएम व अन्य पर जुर्माना लगाने व उनके वेतन से कटौती करने का आदेश दिया है. यह आदेश वायरल हो गया. सिर्फ कांग्रेस ने आपत्ति जताई.
नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कंपनी के आदेश को सरकार की मंशा बताते हुए इसे कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ अन्याय बताया और राज्य सरकार से पूछा कि किसानों को 10 घंटे बिजली नहीं मिल रही है, ऐसे में इस आदेश का क्या मतलब है. उन्होंने पूछा कि क्या राज्य में बिजली की कमी है, क्या इसी वजह से यह आदेश जारी किया गया है? मामला जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संज्ञान में आया तो उन्होंने कहा कि किसानों को 10 घंटे बिजली देना सरकार की प्रतिबद्धता है और अगर कोई अधिकारी गलत आदेश जारी करता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी.
सीजीएम एके जैन को ओएंडएम से हटाया गया
मुख्यमंत्री के इतना कहने के बाद ऊर्जा मंत्रालय में खलबली मच गई, बिजली कंपनी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आदेश जारी करने वाले सीजीएम एके जैन को ओएंडएम से हटाकर गैर परंपरागत ऊर्जा विभाग में भेज दिया और उनके द्वारा जारी आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया. इतना ही नहीं, कंपनी ने मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 2020 में जारी आदेश को भी रद्द कर दिया, बिजली कंपनी ने तर्क दिया कि ये आदेश भ्रम पैदा कर रहे थे, इसलिए इन्हें रद्द किया जाता है.



