सूर्य/चन्द्र ग्रहण 2026: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और नक्षत्रों की तरह ग्रहण का भी बहुत महत्व माना जाता है, जब भी कोई ग्रहण पड़ता है तो उस घटना को खगोलीय घटनाओं में से एक माना जाता है। साल 2025 की तरह 2026 में भी दो सूर्य और दो चंद्र ग्रहण होंगे, इसके साथ ही अगले साल एक दुर्लभ पूर्ण रक्त चंद्रमा भी देखा जाएगा। 2025 में साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को और दूसरा 21 सितंबर को लगा था लेकिन भारत में दिखाई नहीं दिया था। साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को और दूसरा 7 सितंबर को लगा था. दूसरा चंद्र ग्रहण भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, अमेरिका और अफ्रीका में दिखाई दिया था.
2026 में चंद्र ग्रहण कब होगा?
- 2026 का पहला चंद्र ग्रहण, फाल्गुन पूर्णिमा, मंगलवार, 3 मार्च, 2026 को होगा। यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा। भारतीय समय के मुताबिक यह ग्रहण शाम 6:26 बजे शुरू होगा और 6:46 बजे खत्म होगा. इसकी अवधि करीब 20 मिनट 28 सेकेंड होगी. यह ग्रहण भारत के साथ-साथ एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका जैसे कई देशों में दिखाई देगा। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा इसलिए इसका सूतक काल भी यहां मान्य होगा। सूतक सुबह 9.39 बजे से शुरू होकर शाम 6.46 बजे तक रहेगा।
- साल का दूसरा चंद्र ग्रहण शुक्रवार, 28 अगस्त 2026 को लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण मुख्य रूप से उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है.
2026 में सूर्य ग्रहण कब होगा?
साल का पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी (मंगलवार) को लगेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. हालाँकि यह सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका, जाम्बिया, मोजाम्बिक, मॉरीशस, अंटार्कटिका और तंजानिया और दक्षिण अमेरिकी देशों में दिखाई देगा। दूसरा सूर्य ग्रहण 12 अगस्त 2026 को लगेगा। यह सूर्य ग्रहण आर्कटिक, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन, रूस और पुर्तगाल के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाएंगे क्योंकि इस समय यहां दिन का समय होगा।
चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण कब होता है
चंद्रग्रहण: सूर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह छिप जाता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस दौरान जब हम पृथ्वी से चंद्रमा को देखते हैं तो वह हमें काला दिखाई देता है और इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का केवल एक हिस्सा ही पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। चंद्रमा के पृथ्वी की ओर वाले भाग पर, पृथ्वी की छाया काली दिखाई देती है, जबकि छाया वाला भाग इस बात पर निर्भर करता है कि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा कैसे संरेखित हैं।
सूर्यग्रहण: जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता, तब सूर्य ग्रहण होता है। आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं। इसके कारण चंद्रमा सूर्य का केवल कुछ भाग ही ढक पाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है। इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह छिपा रहता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस दौरान जब हम पृथ्वी से चंद्रमा को देखते हैं तो वह हमें काला दिखाई देता है और इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें?
- ग्रहण के सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ बंद कर देना चाहिए।
- ग्रहण काल के दौरान घर के पूजा क्षेत्र को पर्दे से ढक दें।
- ग्रहण के दौरान भूलकर भी देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।
- ग्रहण के दौरान कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।
- खाने की चीजों में तुलसी की पत्तियां डालनी चाहिए
- ग्रहण समाप्ति के बाद घर और पूजा स्थल को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, उन्हें घर से दूर रहना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान बाहर नहीं जाना चाहिए और न ही इसे देखना चाहिए।
- ग्रहण के सूतक काल में खाना बनाना, खाना, सोना, बाल काटना, तेल लगाना,
- सिलाई, कढ़ाई या चाकू का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, कैलेंडर, धार्मिक ग्रंथों और सूचनाओं पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग न्यूज किसी भी प्रकार की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है। इन पर अमल करने से पहले अपने ज्योतिषी या पंडित से संपर्क करें)



