जबलपुर जिला अस्पताल ने मानवता की मिसाल पेश की है. दो साल की बच्ची की जान बचाने के लिए अस्पताल में संचालित आरबीएसके कार्यालय बुधवार को गुरुनानक जयंती के अवकाश पर खोला गया। छुट्टी के दिन पूरा स्टाफ मौजूद था। जिसके बाद नवजात बच्ची के लिए विभागीय कार्रवाई पूरी की गयी.
दरअसल, एक तरफ गुरुनानक जयंती के मौके पर पूरा शहर सेवा पर्व के रूप में प्रकाश उत्सव मना रहा था. जिला अस्पताल में संचालित आरबीएसके कार्यालय में विशेष सेवा अभियान के तहत एक नवजात बालिका की हृदय गति की जांच के लिए विभागीय कार्रवाई की गयी है. सिहोरा में रहने वाले सतेंद्र दहिया और शशि दहिया के घर दो दिन पहले जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ। एक बच्चा स्वस्थ था. लेकिन दूसरी लड़की के दिल में छेद पाया गया। जिसके कारण उनकी हालत काफी गंभीर थी. जिसके बाद सत्येन्द्र ने बच्ची के इलाज के लिए आरबीएसके कार्यालय से संपर्क किया.
मासूम की जान बचाने के लिए छुट्टी के दिन दफ्तर खुला और चंद घंटों में दस्तावेज तैयार हो गए। बच्ची को जल्द से जल्द इलाज के लिए मुंबई के नारायणा अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने मुख्यमंत्री एम्बुलेंस की भी व्यवस्था की थी. गुरुवार को नवजात बच्ची समेत मां और पिता को एयरलिफ्ट कर मुंबई भेजा जाएगा. जहां उनका इलाज विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा।
आरबीएसके के तहत मुफ्त इलाज होगा
सीएमएचओ संजय मिश्रा ने बताया कि दहिया परिवार का इलाज भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत किया जा रहा है. योजना का उद्देश्य 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों में जन्मजात विकृतियों, कमियों एवं बीमारियों की पहचान एवं उपचार करना है। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की जाती है।
सीएमएचओ ने कहा, कर्मचारियों के प्रयास सराहनीय हैं
सीएमएचओ संजय मिश्रा का कहना है, “आज छुट्टी होने के बावजूद अधिकारी और कर्मचारी नवजात की जान बचाने के लिए कार्यालय पहुंचे और औपचारिक दस्तावेज तैयार किए। यह बेहद सराहनीय है।” सीएमएचओ ने आगे कहा, “आरबीएसके प्रबंधक सुभाष शुक्ला और उनकी टीम के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है कि छुट्टी के दिन भी, केवल 1 घंटे के भीतर, गंभीर हृदय रोग से पीड़ित 2 दिन की बच्ची को हवाई जहाज से मुंबई पहुंचाया गया और उसके हृदय रोग का संपूर्ण इलाज कराने से संबंधित सभी दस्तावेज तैयार किए गए।”



