उज्जैन में हर साल हरिहर मिलन (हरिहर मिलन 2025) की एक खास परंपरा निभाई जाती है। यह वह दिन है जब भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा की जाती है। यह त्यौहार विशेष रूप से उज्जैन में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सृष्टि का भार छोड़ने के लिए शिव श्री हरि विष्णु से मिलने गोपाल मंदिर जाते हैं।
यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी बैकुंठ चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन को श्री हरि विष्णु और वैकुंठ धाम से जोड़ा गया है। आइए आपको इस दिन के महत्व से परिचित कराते हैं।
हरिहर मिलन कब है (हरिहर मिलन 2025)
कार्तिक मां के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर को रात 9:35 बजे शुरू होगी। स्थिति 4 नवंबर को शाम 6:06 बजे बंद हो जाएगी। 3 नवंबर को हरिहर मिलन मनाया जाएगा।
हरिहर मिलन क्यों होता है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पाताल लोक में चले जाते हैं। इस काल में सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव पर रहता है। चातुर्मास समाप्त होने पर जब श्रीहरि जागेंगे तो आप सृष्टि का संचालन वापस महादेव को सौंप दें।
जब भोलेनाथ गोपाल मंदिर पहुंचते हैं तो दोनों देवताओं की प्रिय तुलसी और बेलपत्र की मालाओं का आदान-प्रदान होता है। यह वर्ष का एकमात्र दिन है जब महादेव को तुलसी और भगवान विष्णु को बेलपत्र चढ़ाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस अवसर पर भगवान विष्णु ने अपने आराध्य देव महादेव को सहस्र कमल अर्पित किये थे।
ये काम शुभ माने जाते हैं
हरिहर मिलन का शुभ समय बहुत खास माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो इस दिन रात्रि लोकजनता भी किया जा सकता है। भगवान विष्णु और महादेव के मंत्रों का जाप लाभकारी रहता है।
उज्जैन भक्ति में डूबा हुआ है
सावन भादो माह में निकलने वाली सवारी की तर्ज पर उज्जैन के हरिहर मिलन में बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाती है. इस दिन सवारी मार्ग को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। बाबा महाकाल और श्रीहरि विष्णु के इस अद्भुत मिलन के हजारों लोग साक्षी बनते हैं। जोर-जोर से आतिशबाजी की जाती है और खूब बम-पटाखे फोड़े जाते हैं। इस दिन पूरा उज्जैन हरि और हर की भक्ति में लीन नजर आता है।



