भोपाल, 17 नवंबर (भाषा) मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के भारी विरोध के बाद सोमवार को उज्जैन में सिंहस्थ क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण से संबंधित कानून को रद्द करने का फैसला किया। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई.
बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने आधिकारिक निवास पर भारतीय किसान संघ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), उज्जैन के जन प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन और अन्य प्रतिनिधियों के साथ हुई चर्चा के बाद ‘सिंहस्थ लैंड पूलिंग’ को रद्द करने का निर्णय लिया।
बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने शहरी प्रशासन विकास विभाग और जिला प्रशासन को इस संबंध में आदेश जारी करने का निर्देश दिया.
बैठक में सिंहस्थ को दिव्य, भव्य और विश्वस्तरीय तरीके से आयोजित करने के लिए हरसंभव प्रयास करने पर सहमति बनी, जिसमें साधु-संतों और किसानों के हितों का व्यापक ध्यान रखा जाएगा।
इस फैसले पर यादव ने कहा कि यह फैसला किसानों के सम्मान में लिया गया है और आने वाले समय में सिंहस्थ का वैभव पूरी दुनिया देखेगी.
किसानों का आरोप है कि सरकार सिंहस्थ क्षेत्र में स्थाई और व्यावसायिक निर्माण के नाम पर ‘लैंड पुलिंग पॉलिसी’ लागू कर किसानों की जमीनें छीन रही है।
उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने तय समय में कोई ठोस फैसला नहीं लिया तो 18 नवंबर से हजारों किसान उज्जैन में डेरा डाल देंगे और यह तब तक जारी रहेगा जब तक कानून वापस नहीं ले लिया जाता.
किसानों की इस चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री आवास पर बुलाई गई बैठक में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी मौजूद रहे.
बयान में कहा गया है कि इस फैसले के बाद किसान संघ ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है.
सिंहस्थ एक प्रमुख हिंदू धार्मिक आयोजन है जो मंदिरों के शहर उज्जैन में हर 12 साल में आयोजित होता है। उज्जैन में आयोजित कुंभ मेले को सिंहस्थ कहा जाता है और इसमें भारत और विदेश के सभी हिस्सों से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
इस बार उज्जैन में सिंहस्थ 2028 में है और इसे देखते हुए सरकार किसानों की जमीन अधिग्रहण कर स्थायी निर्माण के लिए ‘लैंड पुलिंग’ पॉलिसी लेकर आई थी, जबकि पहले सिंहस्थ के लिए किसानों से 5-6 महीने के लिए जमीन ली जाती थी। इसके बाद से ही किसान संगठन इसका पुरजोर विरोध कर रहे थे.
भाषा ब्रजेन्द्र राजकुमार
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