जबलपुर. मध्य प्रदेश में शिक्षकों के लिए अनिवार्य की गई ई-अटेंडेंस व्यवस्था का मामला अब हाई कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षकों से विस्तृत जानकारी मांगी है. कोर्ट ने शिक्षकों को हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि तिथिवार ई-अटेंडेंस दर्ज कराने में उन्हें क्या दिक्कतें आईं।
27 शिक्षकों की ओर से दायर याचिका पर एकल पीठ में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ने कई व्यावहारिक कठिनाइयों का हवाला देते हुए ई-अटेंडेंस पर सरकार के फैसले को चुनौती दी है।
कोर्ट ने समस्याओं का ब्योरा मांगा
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि शिक्षक तारीख के साथ बताएं कि ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने में उन्हें वास्तव में क्या दिक्कतें आईं. अदालत जानना चाहती है कि क्या आवेदन में सर्वर की समस्या थी, नेटवर्क नहीं था या कोई अन्य तकनीकी खराबी थी. ये सभी विवरण शपथ पत्र के रूप में जमा करने का आदेश दिया गया है.
अगली सुनवाई 17 नवंबर को
कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की है. अगली सुनवाई से पहले याचिकाकर्ता शिक्षकों को अपना हलफनामा कोर्ट में दाखिल करना होगा. इस हलफनामे के आधार पर कोर्ट आगे की कार्रवाई करेगी और तय करेगी कि ई-अटेंडेंस की अनिवार्यता को लेकर क्या फैसला लिया जाए. इस मामले पर प्रदेश भर के हजारों शिक्षकों की निगाहें टिकी हुई हैं.
शिक्षक समन्वय समिति की याचिका जमा हो गयी है
ई-अटेंडेंस मामले में ही एक याचिका 4 नवंबर को हाई कोर्ट से खारिज हो चुकी है. इस याचिका में ई-अटेंडेंस के खिलाफ मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट कनेक्टिविटी, आर्थिक स्थिति जैसे बिंदु उठाए गए थे, जिन्हें कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद निराधार बताकर खारिज कर दिया था. मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार के इस नीतिगत निर्णय में हस्तक्षेप करने का कोई ठोस कारण नहीं है.
जबलपुर, संदीप कुमार



