भोपाल: सोमवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री आवास के पास पॉलिटेक्निक चौराहे पर प्रदेश भर से सैकड़ों की संख्या में नर्सिंग छात्र-छात्राएं एकत्र हुए और जोरदार प्रदर्शन किया. अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (एससी/एसटी/ओबीसी) के इन छात्रों ने कई वर्षों से बंद की जा रही छात्रवृत्ति और कॉलेजों द्वारा परीक्षा न कराए जाने के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया.
प्रदर्शन के कारण चौराहे पर भारी भीड़ जमा हो गई, जिससे यातायात भी प्रभावित हुआ. छात्र सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों पर अड़े रहे. इस दौरान गहमागहमी के बीच कुछ प्रदर्शनकारी छात्रों की तबीयत भी बिगड़ गई, जिन्हें मौके पर मौजूद अन्य लोगों ने संभाला.
छात्र सड़कों पर क्यों उतरे?
प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि उन्हें पिछले कई सालों से छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं किया गया है. इसके चलते उन्हें अपनी पढ़ाई और निजी खर्च चलाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों का कहना था कि उनके कॉलेज प्रबंधन द्वारा परीक्षाएं भी समय पर नहीं कराई जा रही हैं, जिससे उनका शैक्षणिक सत्र पिछड़ रहा है.
“हमें कई वर्षों से छात्रवृत्ति नहीं मिली है। कॉलेज हमारी परीक्षाएं भी नहीं ले रहे हैं, जिससे हमारा भविष्य अंधकार में है। हमारी सुनने वाला कोई नहीं है।” – एक प्रदर्शनकारी छात्र
प्रशासन से बैठक की मांग
छात्रों के मुताबिक उन्होंने अपनी समस्याओं को लेकर कई बार सरकार और प्रशासन के अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला. उनकी मांगों पर किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी, जिसके बाद उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ा. प्रदर्शनकारी छात्र सीधे मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से मिलने की मांग पर अड़े हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो जाता, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे. मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी छात्रों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
भोपाल से जीतेन्द्र यादव की रिपोर्ट



