नीमच, मध्य प्रदेश: जिले की जावद तहसील के मोरवन गांव में 350 करोड़ रुपए की लागत से बन रही रेयॉन्स प्राइवेट लिमिटेड टेक्सटाइल फैक्ट्री के खिलाफ किसानों का विरोध बढ़ता जा रहा है. पिछले 20 दिनों से चल रहा ये आंदोलन अब और तेज हो गया है. ग्रामीणों ने 50 गांवों के लोगों के साथ सोमवार को ट्रैक्टरों के साथ जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करने का एलान किया है. विरोध स्वरूप शुक्रवार को मोरवन गांव पूरी तरह बंद रहा।
ग्रामीणों का आरोप है कि फैक्ट्री के लिए आवंटित जमीन उनकी आजीविका का आधार है, जिसका उपयोग कृषि, पशुओं के लिए चारागाह और खेल के मैदान के लिए किया जाता रहा है. उनका कहना है कि यह जमीन बिना किसी जनसुनवाई या उचित प्रक्रिया के आवंटित कर दी गई. इसी इलाके में महज 50 मीटर की दूरी पर एक स्कूल और एक स्वास्थ्य केंद्र भी है, जिससे चिंता और बढ़ गई है.
जमीन और पानी बचाने के लिए लड़ो
आंदोलनरत किसानों की मुख्य चिंता गांव के जलस्रोतों और कृषि भूमि को लेकर है. किसान नेता राजकुमार अहीर ने कहा कि अगर मोरवन बांध का आधा पानी फैक्ट्री को दिया गया तो जावद और आसपास के दर्जनों गांवों में सिंचाई और पीने के पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा. ग्रामीणों को डर है कि फैक्ट्री से निकलने वाला रासायनिक कचरा बांध के पानी को दूषित कर देगा, जिससे उनकी जमीनें बंजर हो जाएंगी।
“हमें नौकरी नहीं चाहिए, हम खेती करके अपना जीवन यापन कर लेंगे, लेकिन हम अपने गांव का पानी और ज़मीन नहीं खोएंगे।” – पूरणमल अहीर, जनपद सदस्य
किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अपनी कृषि भूमि और जल संसाधनों की कीमत पर औद्योगीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे।
बड़े प्रदर्शन और राजनीतिक चेतावनी की तैयारी
अब इस आंदोलन को राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है. कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष मनोहर जाट ने चेतावनी देते हुए भीलवाड़ा का उदाहरण दिया, जहां ऐसी फैक्ट्रियों ने जमीन को बंजर बना दिया. उन्होंने कहा कि मोरवन में यह गलती नहीं दोहरायी जायेगी.
सोमवार को होने वाले प्रदर्शन में आसपास के पचास गांवों के लोग ट्रैक्टर व अन्य वाहनों से नीमच कूच करेंगे। वे ‘फैक्ट्रियां नहीं, जमीन और पानी’ की मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय के सामने आवाज उठाएंगे. प्रशासन पर इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का दबाव बढ़ता जा रहा है.
नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट



