आज पूरे देश में धनतेरस का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. जिधर भी देखो सब खुश हैं. बच्चे पटाखे फोड़ने में व्यस्त हैं तो बुजुर्ग बाजार पहुंचकर दुकानों में खरीदारी कर रहे हैं। शॉपिंग मॉल के साथ-साथ सड़कों पर दुकानों में भी भारी भीड़ देखी जा रही है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा रूट भी डायवर्ट किए गए हैं ताकि किसी को भी आने-जाने में कोई परेशानी न हो, इस दिन भगवान कुबेर देव की विशेष पूजा की जाती है, इसलिए उनके मंदिरों में भी विशेष भीड़ देखने को मिलेगी.
आज हम आपको मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित कुबेर देव मंदिर की खासियत बताएंगे, जिसका इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। आइये विस्तार से जानते हैं.
भानपुरा क्षेत्र
दरअसल, यह मंदिर मंदसौर जिले के भानपुरा इलाके में स्थित है, जो अपनी अद्भुत विरासत के लिए जाना जाता है। यहां के लोग खुद को बहुत भाग्यशाली मानते हैं। आपको बता दें कि यह क्षेत्र इतिहास, पुरातत्व और संस्कृति का वैभव समेटे हुए है। यह धन के देवता भगवान कुबेर का एकमात्र मंदिर है, जो भानपुरा शहर के केंद्र में स्थित है। धनतेरस के शुभ अवसर पर हजारों लोग यहां आते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं। शाम के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। पुजारी द्वारा महाआरती का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, जहां वे भक्ति में लीन नजर आते हैं.
अनोखा मंदिर
यह मंदिर अपने आप में बहुत अनोखा माना जाता है। जिसका इतिहास करीब 8 से 9 सौ साल पुराना बताया जाता है। यहां भगवान बहुत ही अद्भुत मुद्रा में पैर ऊपर उठाए हुए बैठे हैं। उनके एक हाथ में धन की गठरी है तो दूसरे हाथ में उन्होंने चसक पकड़ रखा है, जिससे वे अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुबेर देव भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त रहे हैं। पुराणों में इनका उल्लेख मिलता है, जो लंकेश्वर के पति रावण के बड़े भाई थे। उनके पास पुष्पक विमान भी था, जिसे युद्ध समाप्ति के बाद भगवान श्रीराम की वापसी के लिए भेजा गया था। जिस पर चढ़कर भगवान अयोध्या नगरी लौट आए।
भगवान कुबेर की 900 साल पुरानी मूर्ति के दर्शन करें
यह मूर्ति मंदसौर के भानपुरा में स्थित है, यह मूर्ति परमार वंश के समय की बताई जाती है, आज धनतेरस के दिन इसकी पूजा की जाती है।#क्यूब्स #धनतेरस2025 pic.twitter.com/byN4jREXK6
– एमपी ब्रेकिंग न्यूज (@mpbreakingnews) 18 अक्टूबर 2025
यह जानकारी इतिहासकार ने दी
इतिहासकार प्रद्युम्न भट्ट ने बताया कि कुबेर सेवा समिति के अध्यक्ष मनोज 20 साल से इसकी देखभाल कर रहे हैं। जब लोगों को समझ आया कि यह कुबेर देव का मंदिर है तो वे पूरी श्रद्धा से सेन की पूजा करने लगे। हर साल धनतेरस के शुभ अवसर पर यहां महाआरती का आयोजन किया जाता है, जिसमें न केवल शहर से बल्कि दूर-दूर से भी लोग आते हैं। शहर को रोशनी और फूलों से सजाया गया है। सुबह-शाम पूजा-अर्चना की जाती है। विशेष अवसरों पर यहां धार्मिक आयोजन भी होते रहते हैं।
(अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग न्यूज किसी भी मान्यता या सूचना की पुष्टि नहीं करता है।)