हरदा: दूल्हादेव मंदिर हरदा: हरदा जिले के ग्राम उदा में स्थित दूल्हादेव मंदिर साल में दो बार दिवाली दूज और होली दूज के अवसर पर विशेष पूजा का केंद्र बनता है। हर साल दिवाली के दूसरे दिन यानी भाईदूज के मौके पर यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र बन जाता है। इस दिन कुंवारे लड़के-लड़कियां मनचाहा जीवनसाथी पाने और शुभ विवाह की कामना लेकर मंदिर पहुंचते हैं और दूल्हे के दरबार में अर्जी लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों की शादी में किसी भी तरह की बाधा आती है, अगर वे सच्चे मन से दूल्हे के चरणों में झुकते हैं, तो उनकी मनोकामना जल्द ही पूरी हो जाती है।
विवाह संपन्न होने के बाद नवविवाहित जोड़ा दोबारा मंदिर में आता है और प्रसाद चढ़ाता है। भाईदूज के दिन मंदिर परिसर का दृश्य अत्यंत आकर्षक एवं भक्तिमय होता है। बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं दूल्हादेव को अपने कुल देवता के रूप में पूजने वाले उदा गांव के निवासी विशेष रूप से दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस अवसर पर दूर-दराज के इलाकों से भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ती है। मेले जैसे माहौल में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और पूरे क्षेत्र में भक्ति और आनंद का माहौल बना रहता है।
दूल्हादेव मंदिर हरदा: मंदिर के पुजारी नरेंद्र तिवारी ने बताया कि इस मंदिर में साल में दो बार होली दूज और दिवाली दूज के मौके पर बड़ी पूजा की जाती है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां दूल्हादेव बाबा के दर्शन कर मन्नत मांगने से हर मनोकामना पूरी होती है। जिन बच्चों की शादी नहीं हो रही है उनकी शादी करा दी जाती है। श्रद्धालु गंगा चंद्रवंशी ने बताया कि पिछली बार होली के मौके पर वे अपने बेटे की शादी के लिए मन्नत मांगने आये थे और उनके बेटे की शादी पक्की हो गयी थी. शादी अगले महीने 25 नवंबर को होनी है, जिसका पहला निमंत्रण देने वह यहां दूल्हादेव मंदिर आए हैं।