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Sunday, November 9, 2025
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डबरा मंडी में ‘कच्ची पर्ची’ का खेल: किसानों को प्रति क्विंटल 200 रुपए तक का चूना, प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप


डबरा: मध्य प्रदेश की डबरा कृषि उपज मंडी में किसानों के साथ खुली धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. यहां व्यापारी ‘कच्ची पर्ची’ के जरिए किसानों की फसल का दाम तय कर रहे हैं और बाद में तौल के समय दाम कम कर देते हैं, जिससे किसानों को प्रति क्विंटल 100 से 200 रुपये का सीधा नुकसान हो रहा है।

किसानों का आरोप है कि यह शोषण काफी समय से चल रहा है, लेकिन मंडी प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. इस पूरी प्रक्रिया को स्थानीय भाषा में ‘मल्हार’ कहा जाता है, जो अब किसानों के लिए आर्थिक संकट का पर्याय बन गया है.

पहले सुनिए किसानों ने क्या कहा?

‘कच्ची पर्ची’ से कैसे खेला जाता है खेल?

मंडी में पहुंचने वाले किसानों की फसल का सौदा आढ़तियों और व्यापारियों द्वारा कच्ची पर्ची पर लिखकर किया जाता है। इस पर्ची पर शुरुआती कीमत तय होती है, जिसके बाद किसान संतुष्ट होकर अपनी उपज तौलने के लिए कांटे पर ले जाता है।

लेकिन असली खेल यहीं से शुरू होता है. जब फसल कांटे पर पहुंचती है तो व्यापारी मनमाने ढंग से दाम कम कर देते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर पर्ची पर कीमत 2000 रुपये प्रति क्विंटल लिखी है तो तौल के समय यह घटकर 1800 या 1900 रुपये हो जाती है. इस तरह किसानों को हर क्विंटल पर भारी घाटा उठाना पड़ता है.

नीलामी न होना एक बड़ा कारण है

बाज़ार में इस मनमानी का एक बड़ा कारण फ़सलों की नीलामी न होना है. नीलामी प्रणाली के अभाव के कारण व्यापारियों को अपनी इच्छानुसार कीमतें तय करने की खुली छूट मिल जाती है। इसका सीधा फायदा व्यापारी और बिचौलिए उठाते हैं, जबकि अपनी मेहनत की कमाई लेकर बाजार आने वाले किसान ठगा हुआ महसूस करते हैं।

प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल

यह पहली बार नहीं है कि डबरा मंडी में यह धांधली उजागर हुई है। मीडिया ने इस मुद्दे को कई बार उठाया है और किसानों की आवाज सरकार और प्रशासन तक पहुंचाई है. इसके बावजूद मंडी के अधिकारी व कर्मचारी इस समस्या से अंजान बने हुए हैं।

किसानों के साथ हो रही इस धोखाधड़ी ने मंडी प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह है कि क्या यह सब मंडी प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है या फिर वे इन समस्याओं पर ध्यान ही नहीं देना चाहते? वर्तमान समय में किसान हर दिन अपनी फसल लेकर बाजार पहुंच रहे हैं और इस शोषण का शिकार हो रहे हैं. अब देखने वाली बात यह है कि क्या इस खबर के सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस कदम उठाएंगे या फिर मामले को पहले की तरह ही नजरअंदाज किया जाएगा.

डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट

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