सर्दियों की ठंडी हवाओं के साथ न सिर्फ गुलाबी ठंडक आती है, बल्कि कई बीमारियों का मौसम भी शुरू हो जाता है। इनमें से सबसे खतरनाक बीमारी निमोनिया है, यह फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है जो कभी-कभी जानलेवा भी साबित होती है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह संक्रमण एक छिपे हुए दुश्मन की तरह है, जो धीरे-धीरे फेफड़ों पर कब्जा कर लेता है। दिल्ली से लेकर भोपाल तक के अस्पतालों में निमोनिया के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है. डॉक्टरों के मुताबिक सर्दियों में हवा में नमी और प्रदूषण दोनों मिलकर इस बीमारी को फैलने का मौका देते हैं।
आख़िर निमोनिया क्या है? (विश्व निमोनिया दिवस 2025)
डॉक्टरों के मुताबिक, निमोनिया फेफड़ों का एक संक्रमण है जिसमें फेफड़ों की वायुकोशिकाएं (एल्वियोली) सूज जाती हैं और तरल पदार्थ या मवाद से भर जाती हैं।
इसके कारण मरीज को सांस लेने में दिक्कत, तेज बुखार, सीने में दर्द और खांसी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण हो सकता है। बच्चों में, यह अक्सर वायरल होता है, जबकि बुजुर्गों में, बैक्टीरियल निमोनिया अधिक आम होता है। अगर सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह फेफड़ों की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है और मरीज को आईसीयू में भेज सकता है।
सर्दियों में क्यों बढ़ जाते हैं निमोनिया के मामले?
ठंडी हवा और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
ठंड के मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। ठंडी हवा के कारण फेफड़ों में संक्रमण तेजी से फैलता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे रोक नहीं पाती है।
इनडोर प्रदूषण और भीड़भाड़
सर्दियों के दौरान लोग अधिक समय घर के अंदर बिताते हैं, जिससे संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। बैक्टीरिया और वायरस खराब हवादार क्षेत्रों में लंबे समय तक जीवित रहते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
बाहरी प्रदूषण और धुँआ
दिल्ली-एनसीआर समेत मध्य प्रदेश के कई शहरों में सर्दियों में वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा रहता है. हवा में मौजूद सूक्ष्म कण फेफड़ों को कमजोर करते हैं और शरीर को निमोनिया जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।
मध्य प्रदेश में बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ रहा है
मध्य प्रदेश इस वक्त देश में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है, जहां बच्चों में निमोनिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के अनुसार, वर्ष 2022-23 में राज्य में 39,948 बच्चे निमोनिया से बीमार हुए, जबकि 1,256 बच्चों की मौत हो गई. इन मौतों में 923 शिशु (1-12 महीने) और 333 बच्चे (1-5 वर्ष) शामिल हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर है और ग्रामीण इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावी ढंग से नहीं पहुंच पा रही हैं.
कुपोषण भी सबसे बड़ा कारण है
विशेषज्ञों के मुताबिक इन मौतों का मुख्य कारण कुपोषण है। मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, जिससे संक्रमण तेजी से गंभीर हो जाता है। कुपोषित बच्चों का शरीर बैक्टीरिया या वायरस से लड़ने में असमर्थ होता है। इसके कारण सर्दियों में मामूली सर्दी-खांसी भी निमोनिया में बदल जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति अधिक गंभीर है, जहां समय पर इलाज नहीं मिल पाता है।
प्रदूषण और घरेलू धुआं
घरेलू प्रदूषण के कारण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में निमोनिया के मामले बढ़ रहे हैं। कई परिवार आज भी लकड़ी, कोयले या उपलों से खाना पकाते हैं, जिससे घर के अंदर धुआं फैल जाता है। यह धुआं बच्चों और महिलाओं के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, शहरी इलाकों में बढ़ते स्मॉग और वाहन प्रदूषण से भी स्थिति खराब हो रही है।
निमोनिया के लक्षण क्या हैं?
- तेज बुखार या ठंड लगना।
- लगातार खांसी और बलगम
- तेजी से सांस लेना या सांस लेने में तकलीफ होना
- छाती में दर्द
- बच्चों में छाती की त्वचा का ढीला होना
- भूख न लगना, कमजोरी या सुस्ती
- यदि इनमें से कोई भी लक्षण दो से तीन दिनों से अधिक समय तक बना रहता है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
इलाज का महत्व और समय पर इलाज
निमोनिया का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि यह वायरल है या बैक्टीरियल। बैक्टीरियल निमोनिया के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। वायरल निमोनिया आमतौर पर सहायक देखभाल और दवाओं से राहत देता है। साथ ही, रोगी को पर्याप्त आराम, जलयोजन और पौष्टिक आहार देना भी महत्वपूर्ण है। गंभीर मामलों में मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट या आईसीयू में भर्ती करना पड़ सकता है।
सरल लेकिन प्रभावी निवारक उपाय
- ठंड से बचने के लिए अपने शरीर को ढककर रखें।
- घर को हवादार रखें और धुएं से बचें।
- बच्चों और बुजुर्गों को फ्लू या निमोनिया का टीका अवश्य लगवाना चाहिए।
- पर्याप्त नींद और पौष्टिक आहार लें ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे।
- अगर किसी को खांसी या बुखार है तो दूरी बनाए रखें।



