ग्वालियर अपहरण कांड: ग्वालियर: ग्वालियर से एक नवंबर को लापता हुआ तीन साल का मासूम रितेश पाल बीस दिन बाद भी नहीं मिला है। स्थानीय पुलिस ने इस दौरान काफी जांच की लेकिन बच्चे की सुरक्षा या स्थिति के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है. इस मामले ने ना सिर्फ ग्वालियर पुलिस की कार्यकुशलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में चिंता और चर्चा का विषय बन गया है.
500 से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया
पुलिस ने जंगलों और संभावित मार्गों पर तलाशी के लिए 500 से अधिक जवानों और अधिकारियों को तैनात किया है. इसके साथ ही मासूम के मोबाइल कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर), मोबाइल लोकेशन और सर्विलांस की जांच की गई। बच्चे के परिवार वालों से भी कड़ी पूछताछ की गई और हर संभावित पहलू को खंगाला गया. इसके बावजूद अभी तक रितेश का कोई पता नहीं चल पाया है.
समय बीतने के साथ चिंता बढ़ती जा रही है
जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, बच्चे के सुरक्षित मिलने की संभावना कम होती जा रही है. पूरे मध्य प्रदेश में ग्वालियर पुलिस की बदनामी हो रही है. आईजी, डीआइजी और एसएसपी ने इस मामले को अपनी चुनौती के रूप में लिया था लेकिन लगातार खाली हाथ रहने से अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. पुलिस अब तक अपहरण स्थल से गुजरने वाले रास्तों और हाईवे पर लगे 400 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की जांच कर चुकी है. फिर भी कोई सफलता नहीं मिली.
परिवार पर शक
ग्वालियर अपहरण मामला: पुलिस का शक बच्चे की मां सपना पाल और मामी ज्योति पाल पर केंद्रित है। दोनों से कई बार पूछताछ की गई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. बार-बार परिवार पर संदेह जताने से मां और मौसी आहत हैं।
पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है, लेकिन लगातार निष्क्रिय रहने के कारण अधिकारी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. परिवार को अब भी उम्मीद है कि उनका बच्चा सुरक्षित लौट आएगा.



