शाजापुर: गोवर्धन पूजा 2025 दिवाली त्योहार के अगले दिन पड़वा पर हर जगह गोवर्धन पूजा की जाती है। लेकिन शहर के गवली समाज द्वारा की जाने वाली गोवर्धन पूजा अपने आप में अनोखी है. गाय के गोबर से पहाड़ की आकृति बनाकर उस पर बच्चों को लिटाया जाता है। गवली समुदाय के लोग बच्चों के स्वास्थ्य और घर में सुख-समृद्धि की कामना के लिए सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का पालन कर रहे हैं। यह जिला विभिन्न त्योहारों को उत्साह और परंपराओं के साथ मनाने के लिए जाना जाता है। दिवाली त्योहार के अगले दिन पड़ने वाले पड़वा को लेकर परंपरा काफी खास है. गवली समुदाय पड़वा को धूमधाम से मनाता है।
गोवर्धन पूजा 2025 पड़वा के दिन समाज की महिलाएं सुबह एक जगह इकट्ठा होती हैं और गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाती हैं। जिसके बाद हर घर से भोग लगाने के लिए खीर-पूड़ी और मिठाइयाँ लाई जाती हैं। इस दौरान हर घर से गाय का दूध भी विशेष रूप से कुल्हड़ में लाया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि इस दूध को पीने से व्यक्ति साल भर स्वस्थ रहता है। सामूहिक पूजा के बाद समाज के पुरुष हाथों में कलश और लाठियां लेकर गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करते हैं। जिसके बाद बच्चों को गोर्वधन पर्वत पर लिटाने की अनोखी परंपरा निभाई जाती है। जिसमें एक दिन के बच्चे से लेकर युवा तक को गाय के गोबर से बने गोर्वधन पर्वत पर लिटाया जाता है। जिसके पीछे गवली समुदाय की मान्यता है कि इससे बच्चों को किसी भी तरह की बीमारी नहीं होती है।
समाज के सदस्य राम गवली, पूनमचंद गवली, हीरालाल गवली, प्रहलाद गवली, धनराज गवली का कहना है कि यह परंपरा समाज में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। देवउठनी एकादशी के दिन गोवर्धन पर्वत के बचे हुए गोबर को लोग अपने-अपने घर ले जाते हैं। जो कि रसोई और पूजा कक्ष में फैला हुआ है। जिससे घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे। खास बात यह है कि आधुनिकता के बदलते दौर में भी लोग अपनी अनोखी परंपराओं को बड़े उत्साह और आस्था के साथ निभाते हैं।
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