मध्य प्रदेश (MP) के किसानों के लिए मंगलवार का दिन राहत लेकर आया. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अब यदि किसी किसान की जमीन पर हाईटेंशन विद्युत लाइन बिछाई जाती है तो उसे कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार 200 प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा।
पहले यह मुआवजा केवल 85 प्रतिशत तक सीमित था, लेकिन अब किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह राशि बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दी गई है। यह फैसला राज्य भर के उन हजारों किसानों के लिए राहत भरी खबर है, जो बिजली परियोजनाओं के कारण भूमि अधिग्रहण से प्रभावित हैं।
किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा बढ़ाया गया
कैबिनेट बैठक के बाद शहरी विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि खेतों में हाईटेंशन लाइन बिछाने के दौरान किसानों को फसल और जमीन का नुकसान उठाना पड़ता है. अब इस नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें दोगुना मुआवजा मिलेगा. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास कार्यों से किसानों को कोई आर्थिक नुकसान न हो. इस फैसले से न सिर्फ बिजली परियोजनाओं पर तेजी से काम होगा, बल्कि किसानों को उनका वाजिब हक भी मिलेगा.
टावर के आसपास की जमीन का भी मुआवजा दिया जायेगा
कैबिनेट के इस फैसले में यह भी तय किया गया है कि अब हाईटेंशन लाइन टावर के आसपास की जमीन का भी किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि पहले टावर के नीचे की सीमित जमीन के लिए ही मुआवजा दिया जाता था, लेकिन अब टावर के आसपास की एक मीटर अतिरिक्त जमीन के लिए भी भुगतान किया जाएगा. इस जमीन पर किसान का कब्जा रहेगा, लेकिन सरकार उसे आर्थिक मुआवजा देगी।
इसके अलावा हाईटेंशन लाइनों की दूरी भी बढ़ा दी गई है, मुआवजा क्षेत्र अब 132 केवी लाइन के लिए 28 मीटर, 220 केवी लाइन के लिए 35 मीटर और 400 केवी लाइन के लिए 52 मीटर तय किया गया है। यह बदलाव किसानों की सुरक्षा और सुविधा दोनों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. सरकारी आवास न छोड़ने वालों पर सख्ती, 30 गुना जुर्माना। कैबिनेट बैठक में न सिर्फ किसानों से जुड़ा फैसला लिया गया, बल्कि सरकारी कर्मचारियों से जुड़ा भी कड़ा फैसला लिया गया. अब भोपाल में सरकारी आवास खाली नहीं करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी से तीस गुना जुर्माना वसूला जाएगा।
नए नियमों के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी ट्रांसफर या रिटायरमेंट के बाद 6 महीने तक आवास में रहता है तो पहले 3 महीने का सामान्य किराया देना होगा. अगले 3 महीने में किराया 10 गुना बढ़ जाएगा और अगर फिर भी घर खाली नहीं किया तो 30 फीसदी जुर्माना वसूला जाएगा और बेदखली की कार्रवाई शुरू की जाएगी. पहले यह अवधि केवल 3 महीने तक सीमित थी। इस संशोधन से अब सरकारी संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन संभव हो सकेगा।
आदिवासी इलाकों में बिजली पहुंचेगी
कैबिनेट बैठक में आदिवासी समुदाय के हित में भी अहम फैसला लिया गया. प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान के तहत अब भारिया, बैगा और सहरिया जनजातियों के घरों तक बिजली पहुंचाने का काम किया जाएगा। इसके लिए 78 करोड़ 94 लाख रुपये की अतिरिक्त कार्ययोजना स्वीकृत की गयी है. इस योजना के तहत 18,338 घरों में बिजली कनेक्शन लगाये जायेंगे. इसके अलावा 211 गांव ऐसे हैं जहां ग्रिड से बिजली की आपूर्ति नहीं की जा सकती, वहां सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की आपूर्ति की जायेगी. यह निर्णय राज्य के दुर्गम एवं बिजली विहीन क्षेत्रों में नई आशा की किरण लेकर आया है।
इस फैसले का किसानों के लिए क्या मतलब है?
यह फैसला किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच साबित हो सकता है. अब तक हाईटेंशन लाइन के नीचे की जमीन का नुकसान झेलने वाले किसानों को अब उसकी पूरी कीमत मिलेगी। इससे न केवल किसान संतुष्ट रहेंगे, बल्कि बिजली वितरण परियोजनाओं का काम भी बिना विरोध के आगे बढ़ सकेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसानों का सरकारी योजनाओं पर भरोसा बढ़ेगा. इसके साथ ही किसानों को अपनी जमीन पर मालिकाना हक भी बरकरार रहेगा, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है।



