टेक्नोलॉजी के इस युग में मध्य प्रदेश सरकार विभागीय स्तर पर खुद को अपडेट कर रही है. इसी क्रम में स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों के लिए टीचर एप पर ई-अटेंडेंस लगाना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन कुछ शिक्षक इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. इसी तरह जब प्रिंसिपल ने एक टीचर को नोटिस दिया तो उन्होंने जवाब तो दे दिया, लेकिन जवाब में उन्होंने जो लिखा, वह अब वायरल हो रहा है।
मामला जबलपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महाराजपुर पनागर की वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षिका ज्योति पांडे से जुड़ा है। टीचर ऐप पर ई-अटेंडेंस नहीं लगाने पर स्कूल प्रिंसिपल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया है. नोटिस में लिखा है कि ”वरिष्ठ कार्यालय से प्राप्त जानकारी में पाया गया है कि आप हमारे शिक्षक एप पर ई-अटेंडेंस नहीं लगा रहे हैं, जबकि सरकार द्वारा सभी लोक सेवकों के लिए ई-अटेंडेंस लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. इसलिए आप इस मामले में तुरंत अपना स्पष्टीकरण कार्यालय में जमा करें.”
ई-अटेंडेंस न लगाने पर शिक्षक को दिया नोटिस
स्कूल प्रिंसिपल की ओर से शिक्षिका ज्योति पांडे को 17 अक्टूबर को नोटिस दिया गया था, जिसका जवाब उन्होंने 20 अक्टूबर को दिया, लेकिन जिस तरह से उन्होंने बिंदुवार जवाब लिखा है, अब वह जवाब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. ज्योति ने लिखा कि मुझे आपके द्वारा भेजा गया पत्र 17 अक्टूबर को स्कूल का समय समाप्त होने से कुछ समय पहले मिला, क्योंकि 18 से 23 अक्टूबर तक छुट्टी है, इसलिए आज 20 अक्टूबर को मैं आपको व्हाट्सएप पर फोटो के रूप में उत्तर भेज रही हूं।
ज्योति पांडे का बिंदुवार जवाब
- फिलहाल मेरे पास जो एंड्रॉइड फोन है, वह सरकार द्वारा नहीं दिया गया है बल्कि वह मेरा निजी फोन है.
- मेरे निजी फ़ोन में मेरी निजी जानकारी, फ़ोटो, व्यक्तिगत, वित्तीय जानकारी आदि शामिल हैं।
- सरकार के फोन डेटा और साइबर अपराध से सुरक्षा के आश्वासन और मुआवजे के आश्वासन के बिना किसी थर्ड पार्टी ऐप को फोन का एक्सेस देना संभव नहीं है।
- किसी भी ऐप के माध्यम से सरकार को मेरे स्थान, कैमरे, फ़ोटो तक पहुंच देना “निजता के मेरे मौलिक अधिकार” का उल्लंघन है।
- मेरा निजी फोन हर समय मेरे पास नहीं रहता है और कभी-कभी मुझे अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए इसे घर पर छोड़ना पड़ता है।
- मेरी प्रोफ़ाइल में पंजीकृत मेरे नंबर का सिम मेरे आधार और बैंक खाते से जुड़ा हुआ है और इसका एक्सेस देने से वित्तीय धोखाधड़ी की संभावना खुल जाती है।
- अगर सरकार मुझे अलग से सिम और मोबाइल दे तो उसके साथ इस ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है.।।
- उपरोक्त बिन्दुओं के अनुसार एक याचिका स्वीकार कर ली गयी है तथा उच्च न्यायालय में प्रक्रियाधीन है।।।