पूरा देश जहां रोशनी का त्योहार दिवाली मनाने की तैयारी में जुटा है, वहीं उमरिया नगर पालिका के वार्ड नंबर 10 और 11 के लोगों के चेहरे पर निराशा है. दिवाली आते ही घरों, दफ्तरों, फैक्ट्रियों आदि की साफ-सफाई शुरू हो जाती है। लोग खुशी-खुशी अपने घरों को सजाते हैं, साफ-सुथरे माहौल में यह त्योहार मनाया जाता है, लेकिन यहां की हालत ऐसी है कि लोग घर से निकलना भी किसी सजा से कम नहीं समझते हैं। हालात इतने खराब हैं कि साफ-सफाई तो दूर, वह घर में ही कैद महसूस कर रहे हैं।
जी हां, यहां सड़क की हालत काफी समय से खराब है। हर तरफ कीचड़ और पानी का ढेर लगा हुआ है. लोगों का कहना है कि यहां त्योहार की खुशी से ज्यादा परेशानियां हैं. इससे लोगों में काफी गुस्सा है.
जनता परेशान
वार्ड के लोगों ने बताया कि महीनों तक सड़क निर्माण का इंतजार करने के बाद अब सभी का धैर्य टूट गया है. यहां इतना कीचड़ है कि आए दिन गाड़ियां फंसती रहती हैं। बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो गया है. महिलाओं के साथ-साथ लोग भी अपने घरों में कैद महसूस कर रहे हैं। कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने अब तक दौरा तक नहीं किया है। हालात इतने खराब हैं कि आए दिन फिसलकर गिरने से किसी न किसी का हाथ या पैर टूट जाता है।
निकालना बहुत कठिन है
स्थानीय निवासी मनोज विश्वकर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि दिवाली के दिन लोग अपने घरों में रोशनी करते हैं, लेकिन यहां अंधेरा और कीचड़ रहता है. न सड़कें हैं, न पानी की सुविधा. ऐसा लगता है मानों हम कैद होकर रह गए हैं. बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत होती है, कोई भी सामान खरीदने जाने से पहले सोचना पड़ता है। आलम यह है कि यहां हमेशा गाड़ियां फंसी रहती हैं, जिससे निकलना काफी मुश्किल होता है। कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई और न ही कोई अधिकारी यहां का निरीक्षण करने पहुंचा।
दुर्घटना हो सकती है
बता दें कि वार्ड की गलियों की स्थिति इतनी खराब है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. आए दिन दोपहिया वाहन फिसलते हैं, बच्चे गिरते हैं और बुजुर्ग घर से निकलने से डरते हैं। रहवासियों का कहना है कि यह हाल किसी गांव का नहीं बल्कि नगर पालिका क्षेत्र का है, वह भी उमरिया का, जहां स्वच्छता अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं. लोगों का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारी कागजों में तो सफाई और सड़कें दिखा देते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता। यदि किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराई जाए तो करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आ सकता है। वहीं लोगों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि कम से कम सड़क और पानी की व्यवस्था तो सुधारी जाये.
उमरिया,बृजेश श्रीवास्तव