आगर मालवा: मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए डिजिटल इंडिया की एक पहल बड़ी समस्या बन गई है. सरकार द्वारा अनिवार्य किये गये ई-अटेंडेंस एप पर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए शिक्षकों को हर दिन अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है. जिले के बड़ौद विकासखंड के कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण शिक्षक पेड़ों पर चढ़कर या ऊंची पहाड़ियों पर जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को मजबूर हैं.
बड़ौद क्षेत्र के पिपल्या हमीर और सुदवास जैसे गांवों में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है, जहां स्कूल ऐसी जगहों पर स्थित हैं, जहां किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि वे स्कूल तो समय पर पहुंच जाते हैं, लेकिन उनकी सुबह की शुरुआत बच्चों को पढ़ाने के बजाय मोबाइल पर नेटवर्क ढूंढने की जद्दोजहद से होती है।
खतरे में उपस्थिति
शिक्षकों के मुताबिक उनका काफी समय नेटवर्क ढूंढने में बर्बाद हो जाता है। कई बार उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है, तब कहीं जाकर उन्हें सिग्नल मिलता है। इसके बावजूद ऐप में तकनीकी दिक्कतें आती रहती हैं. कभी सिस्टम काम नहीं करता तो कभी ऐप स्कूल की लोकेशन 400 से 600 मीटर दूर बताता है, जिससे उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती.
“स्कूल पहुंचने के बाद भी मोबाइल पर लोकेशन गलत दिखती है। नेटवर्क नहीं होने के कारण बार-बार प्रयास करना पड़ता है। कई बार हम अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाते और विभागीय पोर्टल पर हमें अनुपस्थित घोषित कर दिया जाता है।” – परेशान शिक्षक
छात्रों की पढ़ाई पर असर
नेटवर्क ढूंढने में शिक्षकों का कीमती समय बर्बाद होने का सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। जब शिक्षक नेटवर्क के लिए घंटों स्कूल परिसर में घूमते रहते हैं, तो कक्षाएं प्रभावित होती हैं। इस स्थिति ने शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए समस्याएँ पैदा कर दी हैं।
इस समस्या की पुष्टि क्षेत्र के ग्रामीणों ने भी की है. उनका कहना है कि इस इलाके में मोबाइल नेटवर्क की हालत बहुत खराब है, जहां इंटरनेट का इस्तेमाल करना तो दूर, सामान्य फोन कॉल करना भी मुश्किल है. ग्रामीणों और शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूल परिसरों के पास मोबाइल टावर या सिग्नल बूस्टर लगाए जाएं, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके.
शिक्षकों का मानना है कि सरकार के डिजिटल प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों की जमीनी हकीकत समझे बिना ऐसी योजनाएं लागू करने से समस्याएं ही बढ़ रही हैं. बुनियादी ढांचे में सुधार के बिना इन योजनाओं की सफलता संभव नहीं है.
आगर मालवा से गौरव सरवरिया की रिपोर्ट



