पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद राजनीति एक बार फिर नए मोड़ पर पहुंच गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक रियल एस्टेट कारोबारी और लालू-तेजस्वी यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले एक शख्स को गिरफ्तार किया है. अमित कत्याल वित्तीय अनियमितताओं और रियल एस्टेट धोखाधड़ी के गंभीर आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस गिरफ्तारी ने राज्य में राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है, वहीं इसे राजद खेमे के लिए एक नई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है.
लालू-तेजस्वी की बढ़ीं मुश्किलें!
अमित कात्याल लंबे समय से लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के परिवार और बिजनेस नेटवर्क से जुड़े रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी से राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव बाद की इस कार्रवाई से राजद के शीर्ष नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
हालांकि, ईडी ने कार्रवाई की बात साफ तौर पर कही है केवल वित्तीय और रियल एस्टेट धोखाधड़ी और के आधार पर किया गया है कोई सीधा राजनीतिक संबंध नहीं है।
क्या हैं मुख्य आरोप?
ईडी के मुताबिक, अमित कात्याल पर लगे आरोप कई स्तरों पर गंभीर हैं-
- फर्जी बुकिंग के जरिए निवेशकों से करोड़ों रुपये जुटाए
- रियल एस्टेट परियोजनाओं में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन न करना
- अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर करके मनी लॉन्ड्रिंग
- जिससे सरकारी योजनाओं और खरीददारों को आर्थिक नुकसान हो रहा है
कात्याल की परियोजनाओं से जुड़े कई निवेशकों ने शिकायत की थी कि वर्षों से भुगतान प्राप्त करने के बावजूद परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।
रियल एस्टेट सेक्टर में हलचल
कात्याल की गिरफ्तारी से रियल एस्टेट कारोबारियों और निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला उन डेवलपर्स के लिए एक बड़ा संदेश है जो पारदर्शिता और RERA नियमों का पालन नहीं करते हैं।
इसके साथ ही कई खरीदारों का निवेश भी फंस सकता है, क्योंकि ईडी अब उनकी कंपनियों की संपत्तियों, बैंक खातों और लेनदेन की विस्तृत जांच करेगी।
अब किस दिशा में जा रही है ईडी की जांच?
गिरफ्तारी के बाद अब ED-
- उनकी अचल संपत्तियों का मूल्यांकन
- बैंक खातों और लेनदेन की फोरेंसिक जांच
- मुखौटा कंपनियों और साझेदारों की भूमिका
- राजनीतिक नेटवर्क का आर्थिक लेनदेन
जैसे कई बिंदुओं पर जांच आगे बढ़ेगी. जांच एजेंसियों का कहना है कि आगे कई और खुलासे हो सकते हैं.
बिहार की राजनीति पर असर
अमित कत्याल लंबे समय से बिहार की राजनीति में एक ‘महत्वपूर्ण कड़ी’ माने जाते रहे हैं. उनकी नजदीकियों का राजद पर कितना असर पड़ेगा यह आने वाले दिनों में तय होगा. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह मामला चुनाव के बाद विपक्षी खेमे पर दबाव बना सकता है.
अब सबकी निगाहें आगे की जांच पर टिकी हैं
ईडी की इस कार्रवाई से कात्याल के कारोबार, उनकी राजनीतिक पहुंच और निवेशकों के हितों पर बड़ा असर पड़ा है. अब देखना यह है कि जांच आगे क्या मोड़ लेती है और यह मामला बिहार की राजनीति और रियल एस्टेट सेक्टर को किस दिशा में ले जाता है.
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