बिहार विधानसभा चुनाव 2025 इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को लेकर एक अहम और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अब से जो भी उम्मीदवार कोई भी चुनाव लड़ेगा नामांकन फॉर्म में आपके खिलाफ दर्ज हर आपराधिक मामले की पूरी जानकारी देना अनिवार्य है. होगा। कोर्ट ने साफ कहा कि मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि वे किस तरह के उम्मीदवार को वोट देने जा रहे हैं.
यह फैसला ऐसे समय आया है जब बिहार में चुनावी सरगर्मी चरम पर है और राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को लेकर लगातार बहस चल रही है.
राजनीतिक दलों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी
इस फैसले पर विभिन्न दलों ने तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त की.
राजद नेता तेजस्वी यादव उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए अहम बताते हुए कहा.
“यह फैसला स्वागत योग्य है। जनता को यह जानने का अधिकार है कि कौन अपराधी है और कौन जनता की सेवा के लिए मैदान में है।”
वहीं बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने भी फैसले का समर्थन किया और कहा:
“अब किसी भी पार्टी को टिकट देते समय अधिक सावधानी बरतनी होगी। जनता पहले से ही जागरूक है, यह फैसला उन्हें और सशक्त करेगा।”
राजनीति में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश महज एक कानूनी निर्देश नहीं है, बल्कि भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है. शुद्धता और पारदर्शिता इसे इसी दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
विशेष रूप से बिहार जैसे राज्य अमेरिका में, जहां वर्षों से राजनीति और अपराध के बीच संबंधों को लेकर सवाल उठते रहे हैं, वहां यह फैसला चुनावी व्यवस्था में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।
कार्यान्वयन ही असली चुनौती होगी
अब सबकी निगाहें इस पर हैं:
- निर्वाचन आयोग यह इस निर्णय को कितनी सख्ती से लागू करता है?
- राजनीतिक दल टिकट वितरण में हम कितनी पारदर्शिता अपनाते हैं?
- और क्या ये नया नियम सचमुच भारतीय राजनीति को “स्वच्छ” दिशा देगा?
बिहार चुनाव के बीच आए इस फैसले ने राजनीतिक माहौल में नई हलचल पैदा कर दी है. इसका असली असर आने वाले दिनों में दिखेगा.
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