बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र में अप्रत्याशित सफलता के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM अचानक सुर्खियों के केंद्र में आ गई है. पांच सीटों पर जीत ने पार्टी के उत्साह को नई ऊंचाई दे दी है और अब एआईएमआईएम राज्य की राजनीति में बड़ा दांव खेल रही है. नीतीश कुमार और विपक्षी दलों के लिए सरकार बनाने का नया फॉर्मूला सुझाव दिया है.
AIMIM ने दिया नया प्रस्ताव: ‘हम हैं मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार हैं 2029 में पीएम उम्मीदवार’
एआईएमआईएम के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी पोस्ट में दावा किया गया है कि बिहार में अभी भी वैकल्पिक सरकार बन सकती है.
पार्टी ने प्रस्ताव दिया कि-
✔ AIMIM मुख्यमंत्री पद संभालेगी,
✔ जबकि जेडीयू को दो उपमुख्यमंत्री और 20 मंत्री पद मिले हैं दिया जाएगा.
इसके साथ ही AIMIM ने ये भी सुझाव दिया
2029 में नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाना चाहिए.
यह प्रस्ताव सीमांचल की जीत के बाद आया है, जहां AIMIM ने मुस्लिम बहुल सीटों पर कड़ी टक्कर दी और पांच विधायकों को विधानसभा भेजा.
सरकार गठन का गणित: 124 सीटों का नया समीकरण
एआईएमआईएम ने अपने पोस्ट में दावा किया कि अगर जेडीयू, राजद, कांग्रेस, एआईएमआईएम और वामपंथी दल (सीपीआई-एमएल, सीपीआई-एम) एकजुट हो जाएं तो बिहार में आसानी से सरकार बन सकती है।
AIMIM के मुताबिक गठबंधन का आंकड़ा ये रहेगा.
- जेडीयू + राजद + कांग्रेस + एआईएमआईएम + सीपीआई-एमएल + सीपीआई-एम = कुल 124 सीटें
यह संख्या बहुमत के लिए जरूरी 122 सीटों से कम है. दो अधिक है।
एआईएमआईएम ने कहा कि ”अभी भी सरकार बनाने का मौका है, बशर्ते विपक्षी दल निजी हित छोड़कर एक साथ आएं.”
AIMIM ने जारी किया ‘संभावित कैबिनेट’ का ब्लूप्रिंट
जोश में आकर ओवेसी की पार्टी ने एक काल्पनिक कैबिनेट की “तस्वीर” भी जारी कर दी, जिसमें पदों का बंटवारा इस प्रकार दिखाया गया है:
- मुख्यमंत्री – AIMIM
- उपमुख्यमंत्री- 2 (दोनों जदयू)
- **मंत्री –
- मैं जा रहा हूँ: 20
- राजद: 6
- कांग्रेस: 2
- सीपीआई-एमएल: 1
- सीपीआई-एम: 1**
एआईएमआईएम ने लिखा, “हम जोड़ने की राजनीति करते हैं, तोड़ने की नहीं। पार्टियां चाहें तो बिहार को नई दिशा दे सकती हैं।”
सीमांचल में AIMIM का बढ़ता प्रभाव!
AIMIM की जीत का केंद्र सीमांचल है, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है और पार्टी की पकड़ मजबूत होती दिख रही है.
- इस चुनाव में AIMIM 29 उम्मीदवार उड़ान भरना
- इन मे 24 सीटें सीमांचल से थे
- पार्टी के पास है 5 सीटों पर जीत दर्ज कराई
- कई जगह बहुत कम अंतर से हारे का सामना करना पड़ा
चुनाव से पहले एआईएमआईएम ने महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश की थी, लेकिन राजद और कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद AIMIM ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया और अप्रत्याशित रूप से बेहतर प्रदर्शन किया.
क्या AIMIM का प्रस्ताव सिर्फ राजनीतिक संदेश है या असली समीकरण?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि:
- ये प्रस्ताव एक तरह का है रणनीतिक दबाव है,
- जो मुस्लिम वोटों के बिखराव पर उठ रहे सवालों का भी जवाब देता है.
- साथ ही, ओवैसी यह संदेश भी देना चाहते हैं कि AIMIM अब “सीमांचल-सीमित” नहीं है सरकार बनाने में सक्षम पार्टी के रूप में दिखना चाहते हैं.
फिलहाल इस प्रस्ताव पर जेडीयू या राजद की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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