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Monday, November 17, 2025
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लालू यादव के बेहद करीबी शिवानंद तिवारी ने खोला मोर्चा, कहा- पुत्र मोह में धृतराष्ट्र बन गए लालू…तेजस्वी को भी नहीं बख्शा. लोकजनता


पटना

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले तो रोहिणी आचार्य के परिवार और राजनीति से नाता तोड़ने और तेजस्वी के सलाहकारों पर गंभीर आरोप लगाने से माहौल गरमा गया था, लेकिन अब लालू प्रसाद यादव के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाने वाले नेताओं पर विवाद हो गया है. शिवानंद तिवारी खुलकर मोर्चा खोल दिया है.

उन्होंने लालू यादव को हराया “धृतराष्ट्र अपने पुत्र से प्रेम करते थे” बताया है और तेजस्वी यादव की नेतृत्व शैली पर कड़े सवाल भी उठाए हैं.

शिवानंद तिवारी का बड़ा हमला: ‘धृतराष्ट्र की तरह बेटे के लिए गद्दी संभाल रहे थे लालू’

शिवानंद तिवारी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा-

“लालू यादव पुत्र मोह में धृतराष्ट्र की तरह अपने बेटे के लिए सिंहासन गर्म कर रहे थे।”

उन्होंने कहा कि राजद की करारी हार का कारण यह है कि पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से नहीं बल्कि परिवारवाद की विचारधारा के तहत चल रही है.

अपने पुराने दिनों को याद करते हुए, तिवारी ने लिखा कि फुलवारीशरीफ जेल में, लालू यादव ने उनसे कहा था कि वह “राम लखन सिंह यादव जैसा नेता बनने” का सपना देखते हैं, और आज वह सपना सच हो गया – लेकिन पार्टी को कमजोर करने की कीमत पर।

“तेजस्वी ने मुझे पद से हटाया क्योंकि मैं सच बोल रहा था”

शिवानंद तिवारी ने खुलासा किया कि तेजस्वी यादव ने उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कार्यकारिणी पद से हटा दिया था.
उसने कहा-

उन्होंने कहा, ”मैं मतदाता सूची के गहन पुन:सत्यापन के खिलाफ आवाज उठा रहा था।
कह रहे थे कि ये लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है.
राहुल गांधी के साथ संघर्ष में उतरना चाहिए।”

लेकिन तेजस्वी ‘मुख्यमंत्री’ बनने के सपने में इस कदर डूबे हुए थे कि किसी भी सुझाव या आलोचना को सुनने को तैयार नहीं थे.

राजद में बढ़ रहा अंदरूनी असंतोष- रोहिणी, तेज प्रताप और अब शिवानंद की बगावत

पार्टी पहले से ही कई बड़े संकटों से गुजर रही है:

  • तेज प्रताप पहले से ही परिवार और पार्टी से अलग-थलग हैं
  • रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी और उनके करीबी रमीज-संजय यादव पर गंभीर आरोप लगाकर रिश्ता तोड़ लिया है.
  • अब शिवानंद तिवारी भी खुलकर विरोध में उतर आये हैं.

राजद के अंदर तीन अलग-अलग धाराएं बनने लगी हैं, जिससे संगठन की एकता खतरे में है.

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह पार्टी के लिए अब तक का सबसे कठिन दौर है।

राजद की करारी हार- सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई पार्टी

2025 के चुनाव में महागठबंधन के सपने पूरी तरह से चकनाचूर हो गये.
मुख्य आंकड़े इस प्रकार हैं:

एनडीए का शानदार प्रदर्शन

  • बीजेपी- 89 सीटें
  • जेडीयू- 85 सीटें
  • एलजेपी (आरवी)- 19 सीटें
  • HAM- 5 सीटें
  • रालोमो- 4 सीटें

कुल मिलाकर 202 सीटें लेकिन एनडीए की जीत हुई.

महागठबंधन का बुरा हाल

  • राजद – 25
  • कांग्रेस – 6
  • सीपीआई-माले- 3
  • सीपीएम – 1
  • ऐइमिम- मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं. 5
  • बीएसपी – 1

इस हार ने राजद के भीतर नेतृत्व को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं.

“अब मैं फ्री हूं, कहानियां सुनाता रहूंगा”-तिवारी

अपने पोस्ट के अंत में शिवानंद तिवारी ने लिखा-

“अब मैं आज़ाद हूँ, मुझे फ़ुरसत मिल गई है।
अब मैं कहानियाँ सुनाता रहूँगा।”

इस वाक्ये से साफ पता चलता है कि वह आने वाले दिनों में कई और बड़े खुलासे कर सकते हैं।

निष्कर्ष: राजद में भूचाल, परिवार और संगठन दोनों संकट में

  • रोहिणी के परिवार को छोड़कर
  • बहनें पटना छोड़कर दिल्ली चली गयीं
  • तेज प्रताप पहले से ही नाराज हैं
  • और अब शिवानंद तिवारी का मोर्चा खुल रहा है

इन सबके बीच राजद की स्थिति काफी कमजोर नजर आ रही है.

राजनीतिक पंडितों का मानना ​​है कि अगर यह विवाद नहीं थमा तो आने वाले महीनों में पार्टी और भी कमजोर हो जाएगी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व को गंभीर चुनौती मिलेगी.


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