इन दिनों बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का परिवार सुर्खियों में है. कारण भी गंभीर हैं-राजद की करारी चुनावी हार, तेज प्रताप यादव का परिवार और पार्टी छोड़कर नई राजनीतिक राह चुनना और तेजस्वी यादव पर आरोपों की बौछार. इन सबके बीच सोशल मीडिया पर वायरल एक पुराना वीडियो परिवार में चल रही खींचतान को और गहरा रहा है. दावा किया जा रहा है कि तेजस्वी यादव लंबे समय से अपने पिता लालू प्रसाद की बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं.
तेज प्रताप का गुस्सा और चुनावी हार
विवाद की शुरुआत तेज प्रताप यादव के अपने परिवार और पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाने के फैसले से हुई. यह कदम पहले से ही कमजोर राजद के लिए बड़ा झटका था.
जब चुनाव परिणाम आये तो स्थिति और भी बदतर हो गयी. कभी बिहार में मजबूत राजनीतिक ताकत मानी जाने वाली राजद महज 24 सीटों पर सिमट गई। नतीजों के बाद नेतृत्व और रणनीति पर सवाल उठने लगे तो परिवार के भीतर से एक और बड़ा बवाल सामने आ गया.
रोहिणी आचार्य के आरोपों से विवाद बढ़ गया है
लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव के निजी सलाहकार संजय यादव और उनके सहयोगी रमीज पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रोहिणी ने दावा किया कि उसे परिवार से अलग करने की कोशिश की गई, उसे अपमानित किया गया और सवाल उठाने पर चप्पल मारने की धमकी दी गई। इन आरोपों से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. साथ ही यह भी सवाल उठने लगे कि जब परिवार में इतने बड़े विवाद चल रहे थे तो लालू यादव चुप क्यों रहे?
वायरल वीडियो ने उठाए नए सवाल: क्या 2017 से लालू की बात नहीं सुन रहे थे तेजस्वी?
इसी बीच सोशल मीडिया पर 2017 का एक पुराना वीडियो वायरल होने लगा है. इसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान तेजस्वी यादव मीडिया के सवालों पर नाराज होते नजर आ रहे हैं. भ्रष्टाचार से जुड़े एक सवाल पर तेजस्वी पत्रकारों से उलझ जाते हैं और एक चैनल को ‘देशद्रोही’ तक कह देते हैं.
दूसरी ओर, लालू यादव कई बार तेजस्वी को शांत रहने के लिए कहते हैं, उन्हें समझाते हैं कि मीडिया से लड़ने से कोई फायदा नहीं है, लेकिन तेजस्वी इस पर ध्यान नहीं देते और लगातार लड़ते रहते हैं.
अब्दुल बारी सिद्दीकी को हस्तक्षेप करना पड़ा
हालात बिगड़ते देख वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी आगे आते हैं. वे तेजस्वी को शांत रहने की सलाह देते हैं, लेकिन तेजस्वी अपनी बात पर अड़े रहते हैं. आखिरकार विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए लालू यादव को मौजूद कार्यकर्ताओं से पत्रकार को बाहर निकालने का अनुरोध करना पड़ा.
क्या लालू यादव का नियंत्रण कमजोर हो गया था?
इस वीडियो के सामने आने के बाद राजनीतिक विश्लेषकों के बीच एक बड़ी बहस शुरू हो गई है- क्या तेजस्वी यादव सालों से अपने पिता की बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं? 2025 में राजद की करारी हार के बाद भी यही आरोप लग रहे हैं कि तेजस्वी ने अनुभवी नेताओं की सलाह नहीं मानी और अपने सलाहकारों पर ज्यादा निर्भर हो गए. रोहिणी आचार्य के आरोपों ने इन सवालों को और हवा दे दी है.
निष्कर्ष
लालू परिवार आज जिस संकट से जूझ रहा है, वह न केवल चुनावी हार का नतीजा है, बल्कि वर्षों की आंतरिक कलह और नेतृत्व संघर्ष का भी नतीजा है। तेज प्रताप का अलगाव, रोहिणी के आरोप और अब 2017 का वायरल वीडियो- ये सब इशारा करते हैं कि राजद को न सिर्फ अपनी चुनावी रणनीति बल्कि पारिवारिक मतभेदों को भी सुलझाना होगा. अन्यथा बिहार की राजनीति पर पार्टी की पकड़ और कमजोर हो जायेगी.
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