पटना
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दोनों चरणों का मतदान संपन्न होने के बाद अब सियासी पारा तेजी से बढ़ गया है.
एग्जिट पोल के शुरुआती नतीजे सामने आ गए हैं – और इस बार नीतीश कुमार की जेडीयू का चौंकाने वाली वापसी दिखाई दे रहा है।
वहीं, राजद और महागंठबंधन पिछली बार की तुलना में इस बार कमजोर प्रदर्शन संकेत दिया गया है.
🔹 जेडीयू की वापसी, नीतीश कुमार के लिए राहत का संकेत
बिहार की राजनीति में अक्सर ‘थके हुए खिलाड़ी’ कहे जाने वाले नीतीश कुमार इस बार मैदान में हैं चुनाव मैदान में जोरदार वापसी के बारे में है।
कई बड़े सर्वे हुए हैं प्रदर्शन में सुधार और एनडीए की मजबूत स्थिति की ओर इशारा किया.
| एजेंसी/सर्वेक्षण | जेडीयू को मिलने वाली सीटों का अनुमान |
|---|---|
| दैनिक भास्कर | 59-68 |
| मैट्रिज़-आईएएनएस | 67-75 |
| चाणक्य रणनीतियाँ | 52-57 |
| टीआईएफ अनुसंधान | 64-71 |
| असबाबवाला | 55-60 |
| पोल डायरी | 81-89 |
| न्यूज18 एग्जिट पोल | 60-70 |
इन आंकड़ों से साफ पता चल रहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी ने पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया कर चुके है।
जानकारों की मानें तो जेडीयू के इस प्रदर्शन की वजह एनडीए को बहुमत के साथ आगे बढ़ने में निर्णायक मदद मिल गया है।
🔹 एनडीए को बहुमत से ज्यादा सीटों का अनुमान
लगभग सभी प्रमुख एजेंसियों के मुताबिक इस बार बिहार में एनडीए (बीजेपी-जेडीयू गठबंधन) मिल सकता है स्पष्ट बहुमत.
एग्ज़िट पोल का औसत अनुमान बताता है-
- एनडीए: 140-170 सीटें
- ग्रैंड अलायंस (आरजेडी + कांग्रेस + लेफ्ट): 70-100 सीटें
- अन्य (एलजेपी, वीआईपी, निर्दलीय): 5-10 सीटें
इस अनुमान के अनुसार, एनडीए बहुमत के आंकड़े 122 से काफी आगे जाता दिख रहा है.
🔹 बीजेपी का प्रदर्शन स्थिर, जेडीयू ने बढ़ाई पकड़
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार बीजेपी ने अपना कोर वोट बैंक मजबूती से बरकरार रखाजबकि जदयू ने ग्रामीण और महिला मतदाताओं के बीच पकड़ बना ली है।
अपनी पकड़ो फिर से मजबूत के बारे में है।
नीतीश कुमार का “सुशासन और स्थिरता” का संदेश,
प्रधानमंत्री मोदी का “विकास और विश्वास” की छवि के साथ
वोट ट्रांसफर में एनडीए को बड़ा फायदा ऐसा लगता है कि इससे मदद मिल रही है.
🔹 महागठबंधन की उम्मीदें धूमिल
तेजस्वी यादव (राजद) इस चुनाव में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सरकारी नौकरी जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठाए गए.
लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक ये रणनीति मतदाताओं को पूरी तरह प्रभावित नहीं कर सके.
कई सर्वे में राजद को 50-60 सीटों के बीच समर्थन मिलने का अनुमान है.
कांग्रेस और वाम दलों के प्रदर्शन को ‘औसत से भी कमज़ोर’ बताया गया है.
“तेजस्वी की सभाओं में भीड़ ज़रूर दिखी, लेकिन चुनौती उसे वोटों में तब्दील करने की थी।”
— राजनीतिक विश्लेषक रवि रंजन.
🔹 छोटे दलों का प्रभाव सीमित
चिराग पासवान की एलजेपी (LJP),
मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी,
और जन सुराज पार्टी (प्रशांत किशोर) —
एग्जिट पोल में इन पार्टियों का असर सीमित बताया गया है।
ज्यादातर सीटों पर इनका प्रभाव है वोटों के बंटवारे तक सीमित रह गया.
असली पिटारा 14 नवंबर को खुलेगा
हालांकि एग्जिट पोल एनडीए की जीत के संकेत दिया है,
लेकिन असली तस्वीर 14 नवंबर वोटों की गिनती के बाद ही खुलासा होगा.
इस दिन यह तय हो जायेगा कि क्या
नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर काबिज होंगे.
चलो भी तेजस्वी यादव का “परिवर्तन” नारा कोई तो चमत्कार करेगा.
एग्जिट पोल तो महज संकेत हैं, नतीजे चौंका सकते हैं
इतिहास गवाह है कि एग्ज़िट पोल हमेशा सही साबित नहीं होते.
2020 में भी कई सर्वे ने महागठबंधन को बढ़त दी थी.
लेकिन नतीजे में एनडीए की सरकार बन गयी.
इसलिए वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी बिहार की नई राजनीतिक दिशा तय करेंगे.
📍रिपोर्ट:पटना ब्यूरो | संपादन: कुमार आदित्य
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