पटना. बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की बड़ी हार के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह सामने आ रही है. हार के बाद जहां चुनावी रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं लालू परिवार में विवाद भी तेज हो गया है.
अब मामला तेजस्वी यादव के खास माने जाने से जुड़ा है संजय यादव एक नया विवाद सामने आया है, जिसे कई लोग राजद के लिए ”आंतरिक महाभारत” की शुरुआत मान रहे हैं.
तेजस्वी के दौरे के दौरान ‘आगे की सीट विवाद’ से शुरू हुआ नया बवाल
चुनाव के बाद तेजस्वी यादव राजनीतिक दौरे पर निकले. इस दौरे का एक वीडियो और तस्वीरें तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिसमें तेजस्वी के राजनीतिक सलाहकार… संजय यादव वाहन का सामने की सीट पर बैठे नजर आए.
आम तौर पर, राजनीतिक प्रोटोकॉल के अनुसार, आगे की सीट एक वरिष्ठ नेता के लिए होती है – यानी, पार्टी प्रमुख, मुख्यमंत्री या विपक्ष के नेता।
यही वजह थी कि इस तस्वीर पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया.
रोहिणी आचार्य ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा, ”आगे की सीट एक बड़े नेता की है.”
लालू प्रसाद यादव की बेटी और तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य उन्होंने इस तस्वीर पर नाराजगी जताते हुए कहा कि संजय यादव जैसे सलाहकार का आगे की सीट पर बैठना गलत संदेश देता है.
रोहिणी ने लिखा:
“आगे की सीट हमेशा बड़े नेता के लिए होती है।
अगर नेता मौजूद नहीं है तो भी उस सीट पर किसी और को नहीं बैठना चाहिए.
अगर कोई खुद को बड़ा नेता मानने लगा है तो ये अलग बात है.’
उनके इस बयान के बाद राजद समर्थकों और मीडिया के बीच यह चर्चा तेज हो गई कि क्या नेतृत्व और उसकी घेराबंदी को लेकर परिवार के भीतर बड़ा तनाव चल रहा है.
राजद की हार के बाद संजय यादव की भूमिका पर सवाल
राजद की चुनावी हार के बाद पार्टी की आंतरिक बैठकों में भी संजय यादव की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.
कई नेताओं का मानना है कि:
- टिकट बंटवारे में संजय की भूमिका के कारण नुकसान हुआ
- वह तेजस्वी के काफी करीब हो गये और कई फैसलों को प्रभावित किया.
- पार्टी के जमीनी नेताओं को नजरअंदाज किया गया
- परिवार और संगठन के बीच दूरियां बढ़ीं
रोहिणी आचार्य का सामने आना इन आरोपों को और भी मजबूती देता दिख रहा है.
तेजस्वी-संजय की जोड़ी पर बढ़ती आलोचना
तेजस्वी यादव चुनाव प्रचार के दौरान संजय यादव को अपना मुख्य रणनीतिकार मानते थे.
लेकिन अब राजद की करारी हार के बाद यह गठबंधन पार्टी के भीतर भी विवाद का केंद्र बन गया है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
- हार की जिम्मेदारी सलाहकार टीम पर डाली जा सकती है
- वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा से कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ा
- परिवार में संजय की भूमिका को लेकर पहले भी असहमति थी.
तेजस्वी से करीबी के कारण संजय यादव लगातार निशाने पर रहते हैं.
लालू परिवार में बढ़ते मतभेद- क्या ये राजद के भविष्य के लिए खतरा है?
चुनाव में हार के बाद राजद के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं.
✔ राजनीतिक कद और जनाधार की वापसी
✔ परिवार में बढ़ते मतभेदों को रोकना
रोहिणी आचार्य के बयान, उनके पहले के पोस्ट और तेज प्रताप यादव का पुराना गुस्सा-
ये सब इस बात की ओर इशारा करता है कि लालू परिवार में दरारें गहरी होती जा रही हैं.
पार्टी का नेतृत्व और रणनीति दोनों ही सवालों के घेरे में है.
यह स्थिति राजद की आगामी राजनीति और विपक्ष में उसकी भूमिका पर भी असर डाल सकती है।
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