भागलपुर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बाद एक बार फिर मतदान प्रणाली की पारदर्शिता को लेकर बहस तेज हो गई है. इस बीच, भागलपुर विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी मो अजीत शर्मा द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत निर्वाचन आयोग (नई दिल्ली) को विस्तृत पत्र लिखकर ईवीएम के बजाय मतपत्र इसे दोबारा लागू करने की मांग हो रही है.
अजीत शर्मा ने कहा है कि ईवीएम से जुड़े विवाद और तकनीकी त्रुटियां लोकतंत्र की विश्वसनीयता को कमजोर कर रही हैं. ऐसे में मतदाताओं का विश्वास बहाल करने के लिए पारंपरिक मतपत्र प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए।
“ईवीएम में बढ़ रही गलतियां, पारदर्शिता पर पड़ रहा असर” – अजीत शर्मा
अपने पत्र में शर्मा ने लिखा कि हाल के वर्षों में ईवीएम से जुड़े कई विवाद सामने आए हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया पर लोगों का भरोसा कम हुआ है.
उनके अनुसार-
“लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब मतगणना प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और विश्वसनीय होगी। लेकिन लगातार मिल रही शिकायतें इस भरोसे को डिगाने लगी हैं।”
भागलपुर में मतगणना के दौरान कंट्रोल यूनिट और फॉर्म 17बी में अंकों का अंतर
शर्मा ने अपने पत्र में इस विधानसभा चुनाव से जुड़ा बड़ा आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि-
- 11 नवंबर को वोटिंग हुई थी
- वोटों की गिनती 14 नवंबर को राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में हुई थी.
- कई बूथों पर नियंत्रण इकाई संख्या और फॉर्म 17बी में दर्ज किया गया नंबर अलग थे
- इस पर आपत्ति होने पर वोटों की गिनती की जाएगी 30 मिनट तक इंतजार किया
- बाद में यह जबरन रिहाई किया गया
उनका कहना है कि इस घटना से साबित होता है कि चुनाव प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं थी.
2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा दोनों में ईवीएम को लेकर शिकायतें
शर्मा ने पत्र में यह भी लिखा है कि:
- 2024 के लोकसभा चुनाव में ईवीएम और पोस्टल बैलेट की गिनती को लेकर कई सवाल उठे थे.
- वीवीपैट सत्यापन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं
- कई विशेषज्ञों ने ईवीएम की सुरक्षा पर तकनीकी खामी और संभावित हैकिंग की आशंका जताई है.
उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में मतपत्र प्रणाली अधिक विश्वसनीय साबित हो सकती है.
“मतदाता स्वयं अपना मत मतपत्र में देखता है, यह प्रक्रिया अधिक विश्वसनीय है”
शर्मा ने लिखा-
“मतपत्र में मतदाता स्वयं अपना वोट देखता है और गिनती में किसी सॉफ्टवेयर या मशीन का हस्तक्षेप नहीं होता है. इससे वोटों की गिनती में विवाद की गुंजाइश कम रहती है.”
उनका कहना है कि मतपत्र–
- पारदर्शी
- भरोसेमंद
- तकनीकी हस्तक्षेप से मुक्त
- और सटीक गिनती सुनिश्चित करता है
“क्या चुनाव आयोग मतपत्र पर लौटने पर विचार करेगा?”
अंततः शर्मा ने आयोग से अपील की कि-
- ईवीएम से संबंधित तकनीकी शिकायतें
- सुरक्षा खामियाँ
- विपक्षी दलों के आरोप
- और मतदाताओं का गिरता विश्वास
इसे देखते हुए मतपत्र पर पुनर्विचार जरूरी है.
उन्होंने कहा कि यह निर्णय लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करेगा और चुनाव प्रक्रिया में जनता का विश्वास वापस ला सकता है।
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