पटना: नई सरकार के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले बीजेपी ने अपने विधायक दल की बड़ी बैठक में बिहार की राजनीति में अहम फैसला लिया. सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी एक बार फिर बने विधायक दल के नेता और विजय कुमार सिंह उपनेता चुने गए हैं. बैठक में दर्जनों विधायकों ने अपने-अपने नाम का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद बिना किसी विरोध के दोनों नेताओं के नाम पर मुहर लगा दी गई.
इन दो चेहरों पर दोबारा भरोसा क्यों?
इस बार बीजेपी ने अपना नेतृत्व बहुत सोच समझकर चुना है. हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, इसलिए नेतृत्व का चुनाव रणनीतिक तौर पर भी अहम था.
सम्राट चौधरी – आक्रामक नेतृत्व और मजबूत जनाधार
- सम्राट चौधरी चुनाव प्रचार के दौरान सबसे सक्रिय चेहरों में से थे.
- उनकी आक्रामक शैली और त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता ने पार्टी की चुनावी रणनीति को मजबूत किया।
- यादव समुदाय से आने के कारण सामाजिक समीकरणों के लिहाज से वह बीजेपी के लिए अहम फैक्टर माने जाते हैं.
- संगठन के भीतर उनका प्रभाव और लोकप्रियता दोनों लगातार बढ़ी है।
विजय कुमार सिंह – संगठन का शांत, अनुभवी और भरोसेमंद चेहरा
- विजय कुमार सिंह पहले भी विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं, जिसके कारण वे संसदीय प्रक्रियाओं को अच्छी तरह समझते हैं.
- उनकी शांत, संतुलित और अनुभवी शैली को सम्राट चौधरी के नेतृत्व का आदर्श संतुलन माना जाता है।
- संगठन और विधायकों के बीच उनकी व्यापक स्वीकार्यता उन्हें उपनेता पद के लिए स्वाभाविक पसंद बनाती है।
ऐसा बीजेपी नेतृत्व का मानना है प्रखर नेतृत्व + अच्छा अनुभव यह संयोग आने वाले समय में सरकार और संगठन दोनों के लिए फायदेमंद रहेगा।
बैठक से एकजुटता का संदेश- दो उपमुख्यमंत्रियों की संभावना लगभग तय
जिस तरह से विधायक दल की बैठक शांतिपूर्ण और सर्वसम्मति से चली, उससे यह साफ हो गया कि बीजेपी इस बार किसी भी तरह की खींचतान से बचना चाहती है.
- करीब एक दर्जन नेताओं ने उनके नाम का समर्थन किया
- कोई आपत्ति या वैकल्पिक नाम सामने नहीं आया
- बैठक पूर्णतः औपचारिक, संतुलित एवं एकजुट रही
सूत्रों का कहना है कि दोनों का दोबारा नेता-उपनेता चुना जाना इस बात का पुख्ता संकेत है कल होने वाले शपथ समारोह में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं.
बिहार की राजनीति में बीजेपी पहले ही दो उपमुख्यमंत्री का फॉर्मूला अपना चुकी है और इस बार भी पार्टी यही संतुलन साधने जा रही है.
सत्ता और संगठन के बीच समन्वय का संदेश
बीजेपी के बढ़ते जनाधार और बदले राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए पार्टी इस बार सत्ता और संगठन के बीच मजबूत समन्वय बनाए रखने पर जोर दे रही है.
- दोनों नेताओं की संगठन में मजबूत पकड़ है
- चुनाव प्रचार में सक्रिय एवं प्रभावी भूमिका
- पार्टी आलाकमान को दोनों पर भरोसा है
इन सबसे उसका चयन और भी आसान हो गया।
बैठक में यह भी साफ संदेश दिया गया कि आगामी सरकार गठन, मंत्री पदों के बंटवारे और कैबिनेट विस्तार के दौरान पार्टी एकजुट होकर फैसले लेगी.
नेतृत्व चयन – स्थिरता और रणनीति का संकेत
सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह को फिर से नेतृत्व की जिम्मेदारी देना कोई रूटीन चयन नहीं है, बल्कि ये बीजेपी का फैसला है. आंतरिक स्थिरता, एकता और भविष्य की रणनीति का संकेत है.
दर्जनों नेताओं द्वारा अपना प्रस्ताव रखा जाना दर्शाता है कि दोनों नेताओं का विश्वास और स्वीकार्यता लगातार मजबूत हो रही है.
जैसे-जैसे शपथ ग्रहण समारोह नजदीक आ रहा है, दोनों नेताओं की राजनीतिक भूमिका और भी अहम होती जा रही है. नई सरकार में उनकी जिम्मेदारी न सिर्फ प्रशासनिक होगी, बल्कि राजनीतिक और संगठनात्मक संतुलन बनाए रखने में भी अहम साबित होगी।
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