बिहार की नई एनडीए सरकार का गठन 20 नवंबर 2025 को हुआ था, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10वीं बार शपथ ली लिया। इस कैबिनेट विस्तार में एनडीए ने एक बार फिर जातीय समीकरण साधने की रणनीति अपनाई है, जो बिहार की राजनीति में सत्ता की दिशा तय करने का सबसे बड़ा कारक माना जाता है.
नये मंत्रिमंडल में
- बीजेपी से 14 मंत्री
- जेडीयू से 8 मंत्री
- एलजेपी से 2 मंत्री (रामविलास)
- आरएलएसपी (RLMO) से 1 मंत्री
- HAM से 1 मंत्री
शामिल किया गया है.
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यही थी बीजेपी ने ब्राह्मण कोटा आधा कर दियाजबकि राजपूत, ओबीसी और ईबीसी समुदायों को व्यापक प्रतिनिधित्व दिया गया है।
राजपूत समुदाय: बीजेपी का पारंपरिक वोट बैंक, 4 मंत्रियों को मिली जगह
राजपूत समुदाय को एनडीए का स्थाई जनाधार माना जाता है. इस बार कैबिनेट में चार राजपूत नेता में शामिल किया गया है-
- संजय टाइगर
- श्रेयसी सिंह
- लेसी सिंह
- संजय सिंह
चार राजपूत चेहरों को मंत्री बनाकर बीजेपी ने अपने कोर वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करने का संदेश दिया है.
भूमिहार समुदाय: मजबूत राजनीतिक प्रभाव, 2 प्रमुख चेहरे शामिल
भूमिहार लंबे समय से बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली समुदाय रहा है। एनडीए ने उन्हें संतुलित प्रतिनिधित्व दिया है.
- विजय कुमार सिन्हा -उपमुख्यमंत्री
- विजय कुमार चौधरी – वरिष्ठ मंत्री
भूमिहार समुदाय को दो शीर्ष स्तर के पद देकर एनडीए ने साफ संकेत दिया है कि गठबंधन नेतृत्व इस प्रभावशाली सामाजिक समूह को मजबूती से अपने साथ रखना चाहता है.
ब्राह्मण प्रतिनिधित्व आधा, मंत्री सिर्फ 1
पिछली कैबिनेट की तुलना में बीजेपी ने ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधित्व कम कर दिया है.
- मंगल पांडे – एकमात्र ब्राह्मण चेहरा
नीतीश मिश्रा इस बार कैबिनेट से बाहर हो गये हैं. यह बदलाव बीजेपी के अंदर नई सामाजिक रणनीति को दर्शाता है.
कायस्थ समाज: शहरी वोट बैंक साधने की कोशिश
- नितिन नवीन उन्हें मंत्री बनाकर बीजेपी ने पटना और बड़े शहरी इलाकों में अपना प्रभाव मजबूत करने की रणनीति अपनाई है.
कायस्थ समुदाय को भाजपा का शहरी बौद्धिक समर्थन आधार माना जाता है।
ओबीसी समुदाय: एनडीए की राजनीतिक धुरी
बिहार की राजनीति में ओबीसी सबसे बड़ी सामाजिक ताकत है. इस बार एनडीए ने ओबीसी समुदाय को खास तरजीह दी है.
कुशवाह (कोइरी) समाज
- सम्राट चौधरी -उपमुख्यमंत्री
- दीपक की रोशनी – मंत्री
इससे कुशवाह जाति को कड़ा संदेश जाता है कि एनडीए इस बड़े समूह को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
यादव समाज
यादव परंपरागत रूप से राजद का आधार रहे हैं, लेकिन एनडीए ने दो यादव चेहरों को शामिल करके एक राजनीतिक संकेत दिया है-
- रामकृपाल यादव
- विजेंद्र प्रसाद यादव
कुर्मी समाज
- श्रवण कुमार — नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक का प्रतिनिधित्व
चंद्रवंशी (ओबीसी)
- डॉ. प्रमोद कुमार चंद्रवंशी
चंद्रवंशी समुदाय ओबीसी समूह का एक महत्वपूर्ण घटक है और एक मंत्री द्वारा प्रतिनिधित्व एक राजनीतिक संदेश देता है।
ईबीसी (अति पिछड़ा वर्ग): एनडीए की सबसे बड़ी ताकत, 7 मंत्री
बिहार की राजनीति में ईबीसी समुदाय निर्णायक भूमिका निभाता है और एनडीए ने इस बार उन्हें सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व दिया है.
कैबिनेट में शामिल प्रमुख EBC चेहरे-
- सुरेंद्र मेहता (धानुक)
- रमा निषाद (निषाद/मलाह)
- मदन सहनी (नाविक)
- लखेंद्र रोशन पासवान
- सुनील कुमार (रविदास)
- संतोष कुमार सुमन (मांझी समाज)
- संजय पासवान
ईबीसी कोटा की यह मजबूती एनडीए सरकार की सामाजिक न्याय नीति और जाति संतुलन दोनों को दर्शाती है।
अल्पसंख्यक समुदाय: 1 मुस्लिम मंत्री
कैबिनेट में मुस्लिम समुदाय से मोहम्मद जमा खान शामिल किया गया है.
यह एनडीए की समावेशी राजनीति की ओर इशारा करता है, हालांकि इसे प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व भी माना जा रहा है.
एक नजर: किस समुदाय को कितना हिस्सा?
| समुदाय | मंत्रियों की संख्या | मुख्य नाम |
|---|---|---|
| राजपूत | 4 | संजय टाइगर, श्रेयसी सिंह, लेसी सिंह, संजय सिंह |
| भूमिहार | 2 | विजय कुमार सिन्हा, विजय चौधरी |
| ब्राह्मण | 1 | मंगल पांडे |
| कुशवाह | 2 | सम्राट चौधरी, दीपक प्रकाश |
| यादव | 2 | रामकृपाल यादव, विजेंद्र यादव |
| कुर्मी | 1 | श्रवण कुमार |
| चंद्रवंशी | 1 | प्रमोद कुमार |
| ईबीसी | 7 | मेहता, निशाद, सहनी, पासवान, रविदास, सुमन, संजय |
| मुसलमान | 1 | मोहम्मद जमा खान |
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