भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. लखीसराय और तारापुर के नतीजों ने साफ कर दिया है कि राज्य की राजनीतिक दिशा बदलने वाली है. खासकर अमित शाह ने जिन दो नेताओं का नाम लिया-सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा-उन्हें एक “बड़ा आदमी” बनाने का सुझाव दिया गया था, उनके परिणामों ने राजनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी है।
लखीसराय में विजय कुमार सिन्हा की बड़ी जीत
विजय कुमार सिन्हा ने लखीसराय सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अमरेश कुमार को हराया. 24,940 वोट को हराकर शानदार जीत हासिल की
- विजय कुमार सिन्हा को मिले वोट: 1,22,408
- कांग्रेस प्रत्याशी को मिले वोट: 97,468
ये नतीजे न सिर्फ बीजेपी के बढ़ते जनाधार का संकेत देते हैं, बल्कि ये भी बताते हैं कि ग्रामीण हो या शहरी, बीजेपी की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है.
अमित शाह की रणनीति क्यों पड़ी उल्टी?
अमित शाह की चुनावी रणनीति हमेशा अलग मानी जाती है, लेकिन इस बार उनका कदम बिल्कुल सही था.
उन्होंने खुले तौर पर दोनों नेताओं को बिहार में “भविष्य का बड़ा आदमी” बनाने का वादा किया था। इसके पीछे कई कारण थे:
✔ 1. संगठन से नेतृत्व तक की स्पष्ट और मजबूत यात्रा
दोनों नेताओं ने कार्यकर्ता से नेतृत्व तक का लंबा और स्पष्ट सफर तय किया है, जिससे उनकी छवि भरोसेमंद बनी है.
✔ 2. क्षेत्र में गहन जनसंपर्क
सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा दोनों अपने-अपने क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे हैं, जिसका फायदा उन्हें चुनाव में मिला.
✔ 3. मोदी सरकार की योजनाओं को जमीन पर लागू करने में सफल.
प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में इन नेताओं का अहम योगदान रहा, जिससे लोगों के बीच सीधा लाभ का असर देखने को मिला.
अमित शाह ने चुनावी रैलियों में बार-बार कहा था कि “भाजपा सरकार में नेतृत्व की कोई कमी नहीं है” – और अब नतीजों ने उनके बयान को सही साबित कर दिया है।
तारापुर और लखीसराय: बीजेपी के जनाधार का नया संकेत
इन दोनों सीटों के नतीजों से पता चला कि बिहार की जनता एक स्थिर और विकासोन्मुख सरकार चाहती है।
सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा की जीत सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि अमित शाह की रणनीति और बीजेपी की संगठनात्मक ताकत की जीत है.
भविष्य में क्या होगा? इन दोनों नेताओं को किस ऊंचाई तक ले जाएगी बीजेपी?
अब जब दोनों नेताओं की जीत ऐतिहासिक साबित हुई है तो सबकी निगाहें बीजेपी के अगले कदम पर हैं.
अमित शाह ने उन्हें “बड़ा आदमी” बनाने का वादा किया है-
और राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में उन्हें पार्टी और राज्य की राजनीति में बड़ी भूमिकाएं मिल सकती हैं।
चाहे वह संगठनात्मक नेतृत्व हो, विधायिका में भूमिका हो, या सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हो-
सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा अगले पांच साल में बिहार की राजनीति के प्रमुख चेहरों में से एक हो सकते हैं.
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