नई दिल्ली/पटना
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान बुधवार को पूरी तरह संपन्न हो गया. चुनाव आयोग (ECI) ने कहा कि इस बार राज्य में इतिहास में सबसे ज्यादा मतदान पंजीकृत किया गया। कुल मतदान 67.13% जो कि 1951 के बाद सबसे ज्यादा आंकड़ा है। महिला मतदाताओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है 71.78% वहीं मतदान में पुरुषों की भागीदारी रही 62.98% कर रहा है।
ECI की “बिहार फर्स्ट” पहल का बड़ा असर
चुनाव आयोग ने मार्च 2025 से बिहार में 17 विशेष पहल लागू की थी, जिसका उद्देश्य था:
- मतदाता सुविधा बढ़ाना
- मतदान कर्मियों का बेहतर प्रशिक्षण
- प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी
- स्पष्ट एवं अद्यतन मतदाता सूची
इन पहलों ने मतदान के दिन को अधिक सुलभ, पारदर्शी और सुरक्षित बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।
चुनाव आयोग की बड़ी उपलब्धि- शून्य पुनर्मतदान
चुनाव आयोग ने कहा कि दो चरण के इस चुनाव में एक भी पुनर्मतदान की जरूरत नहीं पड़ी।।
बिहार के चुनावी इतिहास में कई दशकों के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.
संवीक्षा के दौरान:
- 122 विधानसभा क्षेत्रों में
- 122 रिटर्निंग अधिकारी (आरओ)
- 122 सामान्य पर्यवेक्षक (जीओ)
- एवं लगभग 460 अभ्यर्थी/अभिकर्ता उपस्थित थे।
किसी भी बूथ पर कोई गड़बड़ी, अनियमितता या कदाचार नहीं पाया गया.
वेबकास्टिंग के माध्यम से सतत् निगरानी
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ विवेक जोशी सभी लें 90,740 मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग वास्तविक समय की निगरानी के माध्यम से।
ECINet चुनावों की तकनीकी रीढ़ बन गया है
ECINet ने मतदाताओं को सेवाओं की आपूर्ति, बूथों से डेटा संग्रह, रिपोर्टिंग और चुनाव संचालन में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस प्रणाली ने तीव्र निगरानी और निर्बाध चुनाव संचालन सुनिश्चित किया।
शुद्ध एवं स्वच्छ मतदाता सूची तैयार की गई
2025 की विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) प्रक्रिया में एक भी अपील नहीं आई।
इससे मतदाता सूची पूर्णतः अद्यतन एवं त्रुटिरहित हो गयी।
इस आधार पर 7,45,26,858 मतदाता दो चरण के चुनाव में मतदान करने के पात्र थे।
पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई गई
जांच के बाद:
- सभी दस्तावेज़
- फॉर्म 17ए
- और संबंधित सामग्री
पीछे को आरओ सील से सुरक्षित रूप से सील किया गया है।
उत्सव का माहौल, शांतिपूर्ण मतदान
चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार में मतदान शांतिपूर्ण रहा और कई जगहों पर जश्न का माहौल दिखा.
महिलाओं की बढ़ी भागीदारी और युवाओं की सक्रियता ने इस चुनाव को रिकॉर्ड तोड़ बना दिया.
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