पटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर अंतर्विरोध सामने आने लगे हैं. खासकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सबसे करीबी माने जाने वाले. राज्यसभा सांसद संजय यादव इसे लेकर आक्रोश गहरा गया है. पहले रोहिणी आचार्य और तेज प्रताप यादव के आरोप और अब कार्यकर्ताओं की खुली बगावत- राजद में अंदरूनी घमासान चरम पर पहुंच गया है.
राजद कार्यालय के बाहर नारेबाजी और पुतला दहन
बुधवार को दर्जनों कार्यकर्ता पटना स्थित राजद प्रदेश कार्यालय के बाहर जुटे. संजय यादव और विधान पार्षद सुनील सिंह का जमकर विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने दोनों नेताओं की हत्या कर दी पुतला दहन इस दौरान ‘संजय हटाओ, राजद बचाओ’ और ‘संजय यादव वापस जाओ’ जैसे नारे लगाये गये.
कार्यकर्ताओं का आरोप है कि संजय यादव और सुनील सिंह ने पार्टी को अंदर से कमजोर कर दिया है, जिसकी सीधी कीमत उन्हें चुनाव में चुकानी पड़ी.
”संजय और सुनील सिंह के कारण हार”-कार्यकर्ता
पुतला दहन के बाद राजद कार्यकर्ता पृथ्वीराज चौहान मीडिया से कहा-
“संजय यादव और सुनील सिंह की वजह से पार्टी को नुकसान हुआ है। इन दोनों ने लालू यादव की विचारधारा को खत्म करने का काम किया है। इन्हें तुरंत बाहर कर देना चाहिए, तभी पार्टी बच पाएगी।”
धर्मेंद्र यादव बोले- ‘बिहार को हरियाणवी नहीं, बिहार ही चलाएगा’
एक अन्य कार्यकर्ता धर्मेन्द्र यादव कहा-
“जब तक संजय यादव को नहीं हटाया जाएगा, हमारा विरोध जारी रहेगा। राजद को बचाने के लिए संजय यादव को बाहर करना जरूरी है। बिहार को हरियाणवी नहीं, बिहार चलाएगा।”
रोहिणी आचार्य के गंभीर आरोपों के बाद माहौल बिगड़ गया.
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव संजय यादव पर उनकी बेटी रोहिणी आचार्य पहले ही गंभीर आरोप लगा चुकी हैं. वह दावा करते हैं-
- संजय यादव पार्टी को अपहरण कर रहे हैं
- वे तेजस्वी यादव को परिवार से दूर रख रहे हैं.
- उनकी वजह से परिवार में फूट पड़ रही है
- यहां तक कि तेजस्वी ने संजय की वजह से उन पर आरोप भी लगाया. चप्पल उठा ली थी
रोहिणी के आरोपों के बाद नाराजगी और तेज हो गई है.
तेज प्रताप पहले ही बता चुके हैं ‘जयचंद’
तेज प्रताप यादव भी कई मौकों पर संजय यादव पर खुलकर हमला कर चुके हैं. उन्होंने बिना नाम लिए बार-बार कहा ‘जयचंद’ कहकर तंज कसते रहे हैं. उनका आरोप है कि पार्टी में ज्यादातर फैसले संजय यादव ही लेते हैं, जिसके कारण पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जाती है.
राजद में गुटबाजी उभर गयी है
चुनाव में हार के बाद अब पार्टी के अंदर गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है. कार्यकर्ताओं में बेचैनी, रोहिणी और तेज प्रताप के बयान और संजय यादव पर बढ़ते आरोप- ये सब बताते हैं कि चुनाव में हार के बाद राजद में संगठनात्मक संकट गहराता जा रहा है.
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