पटना: बिहार विधानसभा चुनाव-2025 की मतगणना के रुझानों ने सियासी गर्मी और बढ़ा दी है. शुरुआती और मध्य रुझानों में एनडीए 200 सीटों का आंकड़ा पार करती दिख रही हैजिससे उनका बिहार की सत्ता पर कब्ज़ा लगभग तय माना जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ एआईएमआईएम (एआईएमआईएम) इस चुनाव में अप्रत्याशित सफलता हासिल की है और पांच सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया है.
वोटों की गिनती तेजी से चल रही है, कई सीटों पर जीत की घोषणा हो चुकी है और सभी सीटों के रुझान सामने आ चुके हैं. चुनावी तस्वीर साफ है- AIMIM ने बड़ी पार्टियों के बीच अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है.
AIMIM का शानदार प्रदर्शन- 3 सीटों पर जीत, 2 पर बड़ी बढ़त
इस बार भी AIMIM ने सीमांचल में जबरदस्त पकड़ दिखाई है. कुल 5 सीटों में से पार्टी ने 3 सीटों पर जीत हासिल कर ली है, जबकि 2 सीटों पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं.
1. कोचाधामन- AIMIM की जोरदार जीत
- विजेता: एमडी सरवर आलम (एआईएमआईएम)
- परास्त: मुजीद आलम (राजद)
- जीत का अंतर: 23,021 वोट
कोचाधामन में एआईएमआईएम प्रत्याशी ने शुरू से ही बढ़त बनाए रखी और अंत तक इसे एकतरफा जीत में तब्दील कर दिया.
2. अमौर – अख्तरुल ईमान का करिश्मा
- विजेता: अख्तरुल ईमान (एआईएमआईएम, प्रदेश अध्यक्ष)
- परास्त: सबा जफर (जेडीयू)
- जीत का अंतर: 38,928 वोट
AIMIM ने अमौर सीट पर अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की. यहां मुकाबला शुरू से ही एकतरफा रहा.
3. जोकीहाट- मुर्शीद आलम ने बदला समीकरण
- विजेता: मोहम्मद मुर्शीद आलम (एआईएमआईएम)
- परास्त: मंजूर आलम (जेडीयू)
- जीत का अंतर: 28,803 वोट
जोकीहाट सीट पर AIMIM ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए जेडीयू को हरा दिया.
एआईएमआईएम दो सीटों पर आगे- एआईएमआईएम की बढ़त बरकरार है
4. बहादुरगंज
- उम्मीदवार: एमडी तौसीफ आलम
- किनारा: के बारे में 19,000 वोट
यहां AIMIM मजबूत स्थिति में है और उसकी बढ़त लगातार बढ़ती जा रही है.
5. बैसी
- उम्मीदवार: गुलाम सरवर
- किनारा: के करीब 15,000 वोट
यहां एआईएमआईएम और बीजेपी के बीच मुकाबला था, लेकिन सरवर ने अच्छी बढ़त बना ली है.
सीमांचल में AIMIM की पकड़ हुई मजबूत!
2025 के इस चुनाव ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सीमांचल के कई इलाकों में AIMIM की मजबूत पकड़ है. जहां पूरे बिहार में एनडीए रिकॉर्ड जीत की ओर बढ़ रही है, वहीं AIMIM ने अपने छोटे लेकिन प्रभावी प्रदर्शन से बड़ी पार्टियों को चुनौती दी है.
बिहार की सियासी तस्वीर में बदलते समीकरण यही बताते हैं सीमांचल अब किसी एक पार्टी का गढ़ नहीं रहाऔर AIMIM की ये सफलता आने वाले समय में राज्य की राजनीति में एक नई दिशा तय कर सकती है.
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