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Tuesday, November 18, 2025
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बिहार चुनाव में जीत के बाद बदले AIMIM विधायक तौसीफ आलम के तेवर, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर साधा निशाना- अंदरूनी कलह खुलकर आई सामने. लोकजनता


किशनगंज जिले के बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से लगातार। पांचवीं बार AIMIM विधायक जो जीते तौसीफ आलम चुनाव नतीजों के बाद सुर्खियों में हैं. जीत के बाद उनके बदले रुख ने न सिर्फ पार्टी के अंदर हलचल पैदा कर दी है बल्कि बिहार में एआईएमआईएम की अंदरूनी राजनीति में भी नया मोड़ ला दिया है.

विधायक तौसीफ आलम बने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष. अख्तरुल ईमान लेकिन उन्होंने बड़ा सियासी हमला बोलते हुए ऐसा कहा उनकी जीत का अख्तरुल ईमान से कोई लेना-देना नहीं हैउनके इस बयान के बाद पार्टी के अंदर सालों से दबा हुआ खींचतान का मुद्दा अब खुलकर सामने आ गया है.

“जनता ने मुझ पर जो भरोसा किया है, मैं उसका बदला कभी नहीं चुका सकता।”

तौसीफ आलम ने अपनी जीत को बहादुरगंज की जनता का पूरा आशीर्वाद बताया. उसने कहा-

“जनता ने इतना बड़ा उपकार किया है कि मैं उनके जूते-चप्पल भी उठा लूं तो भी कम होंगे। मेरी जीत का श्रेय सिर्फ जनता को जाता है।”

इसके साथ ही उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अख्तरुल ईमान ने न तो उनके चुनाव में कोई अहम भूमिका निभाई और न ही उनकी जीत में कोई योगदान दिया.

“एआईएमआईएम की सफलता औवेसी की रणनीति का नतीजा”

विधायक तौसीफ आलम ने सीधा संकेत देते हुए कहा कि बिहार में एआईएमआईएम की सफलता का श्रेय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही जाता है. असदुद्दीन औवेसी यह राज्य की रणनीति और राजनीतिक दृष्टि को जाता है, न कि प्रदेश अध्यक्ष को।

इस बयान से साफ पता चलता है कि आलम और अख्तरुल ईमान के रिश्ते में पहले से ही तनाव था, जो अब पूरी तरह से सतह पर आ गया है.

दो शीर्ष नेताओं के बीच मतभेद गहरा गए हैं

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, तौसीफ आलम और अख्तरुल ईमान के बीच पिछले कई महीनों से मतभेद चल रहा था. दोनों नेताओं के बीच संगठनात्मक फैसलों से लेकर चुनावी रणनीतियों तक कई मुद्दों पर असहमति रही.

तौसीफ आलम के इस बयान से इस बात की पुष्टि हो गई है कि AIMIM की बिहार इकाई में आंतरिक गुटबाजी अब यह गंभीर स्तर पर पहुंच गया है.

बिहार में AIMIM के लिए नया संकट?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि जब तौसीफ आलम जैसा वरिष्ठ और पांच बार के विजेता विधायक राज्य नेतृत्व पर सवाल उठाते हैं, तो इसका पार्टी की बिहार इकाई पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

यह बयान न केवल पार्टी के भीतर नए समीकरण बनाएगा, बल्कि आने वाले समय में एआईएमआईएम की संगठनात्मक ताकत और चुनावी रणनीति पर भी असर डाल सकता है।

अब आगे क्या?

इस विवाद पर एआईएमआईएम आलाकमान क्या रुख अपनाता है, यह आने वाले दिनों में तय होगा कि पार्टी बिहार में अपनी उपलब्धियों को कैसे संभालती है।
फिलहाल तौसीफ आलम के बयान ने पार्टी नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है और बहादुरगंज से निकली ये सियासी गूंज पूरे बिहार में चर्चा का विषय बन गई है.

यह विवाद आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है.


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