पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. इस बार भी पार्टी कोर वोट बैंक-यादव और मुस्लिम समुदाय पर भरोसा भी जताया नए सामाजिक समीकरण बनाने की कोशिश भी किया है. राजद की इस सूची से साफ है कि पार्टी ने जातीय और सामाजिक समीकरण दोनों को ध्यान में रखकर अपनी चुनावी रणनीति तैयार की है.
यादव और मुस्लिम- राजद का पारंपरिक वोट बैंक
राजद की नई सूची में कुल यादव जाति से 52 उम्मीदवार जो पार्टी के कोर वोट बैंक का द्योतक है.
वहीं, 18 मुस्लिम उम्मीदवार टिकट भी दे दिया गया है- ये संख्या पिछली बार की ही है.
पिछले चुनाव में 18 में से 8 मुस्लिम उम्मीदवार विजयी हुए थे.
इस प्रकार, यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों की कुल संख्या 70 सीटों के करीब है – यानी लगभग आधे उम्मीदवार इसी सामाजिक समूह से हैं।
कुशवाह समाज पर भी दांव
इस बार राजद 13 कुशवाह उम्मीदवार टिकट दिया गया है.
इस फैसले को एनडीए से नाराज कुशवाहा वोटरों को अपने पाले में लाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
एनडीए में सम्राट चौधरी और उपेन्द्र कुशवाहा जैसे नेताओं के बावजूद इस वर्ग का झुकाव इंडिया गठबंधन की ओर हो सकता है.
ये राजद के लिए है कुशवाह वोट बैंक को साधने का महत्वपूर्ण प्रयास है।
अति पिछड़ों को साधने का प्रयास
यादव, कुर्मी और कुशवाहा के अलावा राजद ऐसे 21 उम्मीदवार जिन्हें टिकट दिया गया है अत्यंत पिछड़ी एवं अत्यंत पिछड़ी जातियाँ (ईबीसी/ओबीसी) से हैं।
पार्टी ने बीमा भारती, अजय दांगी, अनिता देवी, भारत भूषण मंडल, अरविंद सहनी, देव चौरसिया और विपिन नोनिया जैसे नेताओं को शामिल करके 36% ईबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।
साथ ही साथ, मंगनी लाल मंडल उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने यह भी संदेश दिया है कि अब संगठन में अति पिछड़ों की भूमिका मजबूत होगी.
अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवार
राजद ने 21 आरक्षित सीटें लेकिन उम्मीदवार उतारे हैं- उनमें से 20 अनुसूचित जाति और 1 अनुसूचित जनजाति के लिए उम्मीदवार है.
इनमें रविदास, पासवान और पासी समुदाय को प्राथमिकता दी गई है.
पार्टी का मानना है कि शराबबंदी कानून के बाद पासी समुदाय में एनडीए के खिलाफ नाराजगी बढ़ी है, जिसे वह भुनाना चाहती है.
ऊंची जातियों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया
इस बार राजद 16 ऊंची जाति के उम्मीदवार को टिकट दिया है-जिसमें
7 राजपूत, 6 भूमिहार और 3 ब्राह्मण शामिल हैं.
पार्टी ने शिवानी शुक्ला, राहुल शर्मा और वीणा देवी जैसे उम्मीदवारों के जरिए भूमिहार समुदाय को लुभाने की कोशिश की है।
पिछली बार भूमिहार मतदाताओं ने महागठबंधन को अपेक्षाकृत अधिक समर्थन दिया था.
सामाजिक संतुलन के लिए नई रणनीति
राजद की उम्मीदवारों की सूची से साफ है कि पार्टी ने सिर्फ जातिगत समीकरणों पर ही फोकस नहीं किया है सामाजिक संतुलन एवं पिछड़े लोगों का सशक्तिकरण पर भी फोकस किया है.
पार्टी की सफलता अब इस बात पर निर्भर करेगी कि मतदाता इन सामाजिक संदेशों को किस प्रकार स्वीकार करते हैं।
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