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Saturday, November 15, 2025
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बिहार चुनाव में करारी हार के बाद राज्यसभा में राजद की हालत पतली, 2030 तक ‘जीरो’ होने का खतरा; AIMIM का समर्थन भी नहीं मिलेगा. लोकजनता


पटना. बिहार विधानसभा चुनाव में राजद को मिली करारी हार ने पार्टी की भविष्य की राजनीतिक स्थिति पर सवाल खड़े कर दिये हैं. इस चुनाव में पार्टी ने 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बावजूद सिर्फ 25 सीटें लेकिन यह सिकुड़ गया. इसका सीधा असर अब खासकर राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ रहा है राज्यसभा में राजद की मौजूदगी लेकिन गिरने वाला है.

राजनीतिक गणित तो यही कहता है 2030 तक राज्यसभा में राजद का एक भी सांसद नहीं बचेगा.-यह पार्टी के तीन दशक के इतिहास में पहली बार हो सकता है।

राज्यसभा में राजद के पूरी तरह ‘क्लीन स्वीप’ होने का डर

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार में कमजोर विधानसभा उपस्थिति के कारण राजद अगली बार राज्यसभा चुनाव में सीटें पाने की स्थिति में नहीं होगी।
राज्यसभा चुनाव में सीटें विधायकों की संख्या के आधार पर तय की जाती हैं और राजद की वर्तमान और भविष्य की स्थिति उसे नुकसान में डाल रही है।

अगर AIMIM (ओवैसी की पार्टी) भविष्य में राजद का समर्थन भी करती है तो भी संख्या पूरी नहीं होगी.
कारण यह है कि राज्यसभा चुनाव में छोटे दल राजनीतिक सौदेबाजी के आधार पर वोट करते हैं न कि स्थायी गठबंधन के आधार पर.

राज्यसभा में अभी भी राजद के 5 सांसद हैं – लेकिन उनका जाना तय है

राजद के मौजूदा पांच राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल इस प्रकार समाप्त होगा:

  • अप्रैल 2026: प्रेमचंद गुप्ता, एडी सिंह (दोनों राजद से)
  • जुलाई 2028: फैयाज अहमद
  • अप्रैल 2030: मनोज कुमार झा, संजय यादव

उनके रिटायरमेंट के बाद विधानसभा सीटों की कमी के कारण राजद की नए सांसद चुनने की क्षमता लगभग खत्म हो जाएगी.

AIMIM को समर्थन मिलना भी मुश्किल है – क्योंकि संख्या पर्याप्त नहीं है

राजनीतिक गणित के अनुसार:

  • 2026 राज्यसभा चुनाव AIMIM के समर्थन के बावजूद राजद कोई भी सीट नहीं जीत पाएगी.
  • 2028 चुनाव भारत में भी हालात ऐसे ही रहेंगे.
  • 2030 में अगर AIMIM पूरा समर्थन देती है तो भी राजद को दिक्कत होगी एक सीट इसे हटा सकते हैं – यह भी बहुत कमजोर संभावना है.

क्योंकि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम खुद सीमांचल तक ही सीमित है और उसका संख्या बल राज्यसभा चुनाव को निर्णायक रूप से प्रभावित नहीं कर सकता है.

बिहार से राज्यसभा में एनडीए का दबदबा बढ़ेगा

नए विधानसभा समीकरण पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में हैं।
इसका सीधा असर बिहार से चुने जाने वाले राज्यसभा सदस्यों की संख्या पर पड़ेगा.

2026 में

बिहार से खाली होंगी 5 राज्यसभा सीटें-

  • 2 मैं जा रहा हूँ
  • 1 आरएलएसपी/आरएलएमओ
  • अन्य सीटें गठबंधन समर्थित

मौजूदा विधानसभा गणित के मुताबिक एनडीए में 5 में 5 सीटें कब्जा कर लेंगे.

2028 में

फिर राज्यसभा से रिटायर होंगे 5 सदस्य:

  • 3 बीजेपी
  • 1 मैं जा रहा हूँ
  • 1 राजद

इस बार भी एनडीए अपने सभी उम्मीदवारों को आसानी से जिता लेगी.

ऐसे में 2030 तक राजद के लिए राज्यसभा में जगह बनाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा.

क्या राजद राजनीतिक रूप से हाशिए पर चला जाएगा?

राज्यसभा में ‘शून्य’ का मतलब होगा:

  • राष्ट्रीय स्तर पर राजद की आवाज कमजोर होगी
  • पार्टी का संसद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा
  • पार्टी केंद्रीय राजनीतिक निर्णयों में भागीदारी खो देगी

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ऐसा राजद के इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक झटका होगा।


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