बिहार में सत्ता साझेदारी का नया समीकरण साफ नजर आ रहा है. दो दशक तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास रहा गृह विभाग पहली बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दिया गया है। शुक्रवार को जारी विभाग वितरण में मुख्यमंत्री ने यह महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता को दिया है. सम्राट चौधरी को सौंप दिया गया. बदले में जेडीयू को वित्त और वाणिज्य कर जैसे बड़े मंत्रालय मिले हैं, जो पहले बीजेपी के पास थे.
89 सीटों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी बीजेपी अब कानून व्यवस्था नीति और पुलिस प्रशासन में सीधे नेतृत्व की भूमिका निभाएगी. यह बदलाव न सिर्फ सत्ता की संरचना को बदलेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में गठबंधन की राजनीति और स्थिरता पर भी निर्णायक असर डालने वाला है।
सम्राट चौधरी का बयान
गृह विभाग की बैठक पर उपमुख्यमंत्री ने कहा-
“मैं नीतीश कुमार द्वारा किए गए काम को जमीन पर आगे बढ़ाऊंगा। सुशासन को और मजबूत करना मेरी प्राथमिकता है।”
नीतीश ने सामान्य प्रशासन, निगरानी, कैबिनेट सचिवालय और चुनाव विभाग अपने पास रखे- जो उनके पारंपरिक और रणनीतिक विभाग माने जाते हैं।
20 साल में पहली बार नीतीश ने क्यों छोड़ा अपना सबसे अहम विभाग?
1. एनडीए में शक्ति संतुलन की नई मजबूरी
2025 के चुनाव के बाद बीजेपी स्पष्ट तौर पर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. गठबंधन की स्थिरता और भाजपा के बढ़े हुए जनादेश को पहचानते हुए, नीतीश को वास्तविक सत्ता-साझाकरण का मॉडल अपनाना पड़ा। गृह विभाग भाजपा की “गैर-समझौता योग्य” मांग थी।
2. गठबंधन को टिकाऊ बनाना
पिछले सालों की खबरों और जेडीयू-बीजेपी गठबंधन में टूट के अनुभव को देखते हुए इस बार बीजेपी स्थायी और भरोसेमंद साझेदारी चाहती थी. गृह विभाग देकर नीतीश ने गठबंधन की मजबूती का संदेश दिया.
3. नीतीश की उम्र और प्रशासनिक बोझ
73 साल की उम्र में नीतीश धीरे-धीरे गहन प्रशासनिक जिम्मेदारियों से समन्वय और प्रबंधन भूमिकाओं की ओर बढ़ना चाहते हैं। इस फैसले को उनके राजनीतिक परिवर्तन का हिस्सा माना जा रहा है.
अब बीजेपी के हाथ में क्या है?
गृह विभाग मिलने का सीधा सा मतलब है कि-
- राज्य की कानून व्यवस्था
- पुलिस सुधार
- ख़ुफ़िया तंत्र
- अपराध नियंत्रण
- सीमा और सुरक्षा रणनीति
इन सब पर बीजेपी निर्णायक भूमिका निभाएगी. चुनावी वादों को क्रियान्वित करने का यह महत्वपूर्ण अवसर है।
नीतीश ने क्या बचाकर रखा?
नीतीश कुमार ने सरकार की मशीनरी को नियंत्रित करने वाले विभाग अपने पास रखे-
- सामान्य प्रशासन
- सतर्कता
- कैबिनेट सचिवालय
- चुनाव
ये उनकी प्रशासनिक पकड़ और संतुलन बनाए रखने के लिए ज़रूरी थे.
बिहार का शक्ति संतुलन बदल रहा है
बीजेपी को गृह विभाग देकर नीतीश ने न सिर्फ दो दशक पुरानी परंपरा को तोड़ा, बल्कि यह भी संकेत दिया कि 2025 के बाद बीजेपी राजनीति में एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित हो गई है. यह फैसला बिहार की कानून-व्यवस्था, गठबंधन की दिशा और दीर्घकालिक राजनीति को निर्णायक रूप से प्रभावित करेगा.
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