पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहले चरण के मतदान के साथ ही राज्य की कई सीटों पर वोटिंग जारी है. कद्दावर नेताओं के बीच कांटे की टक्कर देखा जा रहा है.
इस बार 18 जिलों की 121 सीटों पर चल रहे मतदान में कई चर्चित और विवादित चेहरे मैदान में हैं, जिनकी विश्वसनीयता, प्रभाव और राजनीतिक पकड़ इस चुनाव को और दिलचस्प बना रही है.
मोकामा: अनंत सिंह बनाम वीणा देवी- बाहुबली क्लैश का सबसे बड़ा मुकाबला
पहले चरण की सबसे चर्चित सीट मोकामा है।
यहाँ जेडीयू प्रत्याशी और कद्दावर नेता अनंत सिंह का मुकाबला राजद की वीणा देवी बाहुबली, जो से है सूरजभान सिंह की पत्नी है.
दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावशाली माने जाते हैं और यही कारण है कि इस बार यह सीट उनके कब्जे में है। “बाहुबली बनाम बाहुबली” टक्कर के तौर पर देखा जा रहा है.
मोकामा का यह मुकाबला राज्य की राजनीति में सियासी गर्मी और शक्ति संतुलन दोनों पर असर डाल सकता है.
दानापुर: रामकृपाल यादव बनाम रीतलाल यादव- साख और सजा के बीच मुकाबला.
दानापुर सीट पर सियासी मुकाबला भी काफी दिलचस्प है.
यहां बीजेपी के वरिष्ठ नेता… रामकृपाल यादव राजद के कद्दावर नेता चेहरे रीतलाल यादव से है।
रीतलाल यादव कभी बीजेपी नेता थे सत्यनारायण सिन्हा हत्याकांड का आरोप लगाया गया है और वर्तमान में 50 लाख रुपये की रंगदारी यदि भागलपुर जेल मैं बंद हूं.
दोनों नेताओं की विवादित छवि और राजनीतिक प्रभाव के कारण यह सीट पूरे प्रदेश में सुर्खियों में है.
लालगंज में मुन्ना शुक्ला की बेटी खेत में
वैशाली जिले की लालगंज सीट लेकिन राजद बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला टिकट दिया गया है.
शिवानी का सामना स्थानीय उम्मीदवारों से है, लेकिन उनकी राजनीतिक पहचान उनकी पारिवारिक विरासत से जुड़ी है।
उनके पिता और मां दोनों पूर्व में विधायक रह चुके हैं, जिसके चलते इस परिवार की इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है.
सीवान में शहाबुद्दीन के वारिस मैदान में
सीवान के रघुनाथपुर सीट लेकिन राजद ओसामा शहाबयानी बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे को नीचे गिरा दिया है.
उनके सामने जदयू प्रत्याशी हैं विकास कुमार सिंह हैं।
ओसामा की माँ हिना शहाब वह पहले भी लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
शहाबुद्दीन परिवार की यह सक्रियता एक बार फिर सीवान की राजनीति को चर्चा में ला रही है.
हुलास पांडे की ब्रह्मपुर वापसी की कोशिश
ब्रह्मपुर विधानसभा सीट एलजेपी (रामविलास) के टिकट पर हुलास पांडे चुनाव लड़ रहे हैं.
हुलास बाहुबली सुनील पांडे का भाई है.
उन्होंने 2020 में भी इसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे.
उसका नाम ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड भी शामिल हो गए हैं, जिससे इस बार ब्रह्मपुर की लड़ाई और भी संवेदनशील हो गई है.
मांझी से लेकर रणधीर सिंह तक मैदान में, नजर पिता प्रभुनाथ सिंह की विरासत पर
सारण जिले की मांझी सीट लेकिन जदयू रणधीर सिंहयानी बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के बेटे को टिकट दिया है.
प्रभुनाथ सिंह एक बार सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में भी अशोक सिंह हत्याकांड मैं जेल की सजा काट रहा हूं.
अब बेटे रणधीर सिंह अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बचाने की कोशिश में हैं.
पहले चरण में इन बाहुबलियों पर टिकी निगाहें
पहले चरण के चुनाव में जिन ताकतवर नेताओं ने सुर्खियां बटोरी हैं उनके बीच मुकाबला इस प्रकार है-
- अनंत सिंह (मोकामा)
- वीणा देवी (मोकामा)
- रीतलाल यादव (दानापुर)
- रामकृपाल यादव (दानापुर)
- ओसामा शहाब (रघुनाथपुर)
- रणधीर सिंह (मांझी)
- शिवानी शुक्ला (लालगंज)
- हुलास पांडे (ब्रह्मपुर)
- अमरेंद्र पांडे (कुचायकोट)
इन सभी सीटों पर मुकाबला सिर्फ राजनीतिक ही नहीं बल्कि सियासी भी है प्रभाव एवं प्रतिष्ठा का भी बनाया गया है.
राजनीतिक असर: बाहुबली राजनीति की परीक्षा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले चरण में कद्दावर नेताओं की बड़ी मौजूदगी रहेगी चुनाव संवेदनशील और प्रतिस्पर्धी होने चाहिए बना लिया है.
इन नेताओं का प्रभाव ही नहीं प्रचार अभियान की अपेक्षा वोटिंग पैटर्न इसका असर भी पड़ रहा है.
बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की भूमिका कई दशकों से रही है और इस बार भी उनका दबदबा साफ नजर आ रहा है.
निर्णायक दौर, अगले 5 साल की राजनीति पर असर
पहले चरण के ये नतीजे आने वाले पांच साल तक काम आएंगे। राजनीतिक दिशा और शक्ति समीकरण इस पर काफी हद तक असर पड़ेगा.
मजबूत नेताओं की जीत या हार न केवल व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर निर्भर करती है बिहार की राजनीतिक संस्कृति भविष्य का संकेत भी देंगे.
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