गुरुवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भव्य शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया, जहां जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
इस ऐतिहासिक अवसर पर उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली लिया।
शपथ लेने वालों में सबसे चर्चित नाम एक था संतोष कुमार सुमनजो पूर्व मुख्यमंत्री और HAM प्रमुख हैं जीतन राम मांझी के बेटे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) ने शानदार प्रदर्शन किया. 5 सीटें जीतीं का।
लेकिन इसके बावजूद कैबिनेट विस्तार में हम के किसी भी जीते हुए विधायक को मंत्री पद नहीं दिया गया.
उनकी जगह पार्टी के एम.एल.सी संतोष कुमार सुमन मंत्री पद की शपथ ली.
वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे और इस बार भी HAM ने उनका नाम भेजा है.
इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि इस बार पार्टी के नए विधायकों को मौका नहीं मिला.
HAM ने इस चुनाव में राजनीतिक रूप से मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से कई अपने क्षेत्र में प्रभावशाली हैं।
पार्टी को मिली पांच जीतें इस प्रकार हैं:
HAM के 5 विजयी विधायक
- इमामगंज- दीपा मांझी (जीतन राम मांझी की बहू)
- परिवार – ललन राम (पराजित कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम)
- बाराचट्टी-ज्योति देवी (मांझी परिवार का समर्थन)
- अटारी – रोमित कुमार
- सिकंदरा-प्रफुल्ल कुमार मांझी
इन पांचों विधायकों को कैबिनेट में जगह नहीं मिली, जिससे पार्टी के अंदर असंतोष की चर्चा हो रही है.
HAM के विधान पार्षद संतोष कुमार सुमन लगातार दूसरी बार मंत्री बने हैं.
वह पिछली नीतीश सरकार में भी मंत्री थे और इस बार भी जीतन राम मांझी ने अपने बेटे पर ही भरोसा जताया.।।
ऐसा माना जाता है कि-
- मांझी को संतोष सुमन पर पूरा भरोसा है
- कैबिनेट अनुभव आवश्यक
- पिता-पुत्र के रिश्ते की मजबूती
इन्हीं कारणों से उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया.
हालांकि, आने वाले दिनों में पार्टी में नए चेहरों को मौका नहीं मिलने की वजह राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है HAM के अंदर असंतोष उभर सकता है।।
शपथ ग्रहण समारोह से यह भी स्पष्ट संकेत मिला कि एनडीए सरकार अपनी भविष्य की रणनीति में अनुभव, संगठनात्मक ताकत और राजनीतिक एकजुटता को प्राथमिकता दे रही है।
HAM को दिया गया एक मंत्री पद का प्रतिनिधित्व भले ही सीमित हो, लेकिन इसे गठबंधन की एकता और साझा रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
इमामगंज और बाराचट्टी जैसी सीटों पर मांझी परिवार का पहले से ही दबदबा रहा है.
इस चुनाव में मांझी परिवार की दो महिलाएं- दीपा मांझी और ज्योति देवी भी विजयी रहीं, जिन्हें पार्टी की ताकत बढ़ाने वाला माना जाता है.
इसके बावजूद संतोष सुमन को कैबिनेट में तरजीह मिलना इस बात का संकेत है कि-
HAM अभी भी मांझी परिवार केंद्रित राजनीति कर रही है.
VOB चैनल से जुड़ें



