पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. इनमें राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्री भी शामिल हैं- सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हाऔर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सबसे प्रमुख चेहरों में से एक. यह चुनाव सिर्फ सीटों की लड़ाई नहीं बल्कि विश्वसनीयता, रणनीति और राजनीतिक भविष्य की परीक्षा भी बन गया है।
विजय कुमार सिन्हा : लखीसराय में फिर प्रतिष्ठा की लड़ाई होगी
बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा वह एक बार फिर लखीसराय विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. लगातार जीतते आ रहे विजय सिन्हा के लिए यह सीट न सिर्फ राजनीतिक गढ़ है बल्कि बीजेपी की संगठनात्मक ताकत की परीक्षा भी बन गई है.
विजय सिन्हा अपने स्वच्छ छवि, जमीनी स्तर का नेतृत्व और संगठनात्मक समन्वय के लिए जाना जाता है। विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने विपक्ष पर तीखे हमले किए थे, वहीं उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सरकार की नीतियों को मजबूती से जनता के सामने रखा.
इस बार महागठबंधन ने लखीसराय में मजबूत उम्मीदवार उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे विजय सिन्हा के लिए चुनौती हो सकते हैं, हालांकि इलाके में उनकी ताकत है मजबूत पकड़ और लंबे समय तक जनसंपर्क उन्हें बढ़त दिला सकते हैं
तेजस्वी यादव: सत्ता में वापसी की आखिरी उम्मीद!
महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे तेजस्वी यादव फिर देखो राघोपुर विधानसभा सीट लेकिन टिकी हुई है. यह वही सीट है जहां से उनके पिता जीते थे लालू प्रसाद यादव अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. तेजस्वी यहां से लगातार तीसरी बार जीतने की कोशिश कर रहे हैं.
राघोपुर यादव बहुल इलाका है, लेकिन इस बार एनडीए ने भी मजबूत उम्मीदवार उतारकर मुकाबले को कड़ा बना दिया है. तेजस्वी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि क्या वो ऐसा कर सकते हैं 15 महीने का उपमुख्यमंत्री कार्यकाल हम अपने किये गये कार्यों को प्रभावी ढंग से जनता तक पहुंचा पायेंगे या नहीं.
इस चुनाव में तेजस्वी यादव महंगाई, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को मुख्य फोकस में रखा गया है. दूसरी ओर, एनडीए सरकार केंद्र के विकास कार्यों और योजनाओं की उपलब्धियों को उजागर कर जनता से समर्थन मांग रही है।
एनडीए बनाम महागठबंधन: साख और रणनीति की लड़ाई
बिहार की राजनीति में यह चुनाव कई मायनों में खास है. एक तरफ पर एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) वह अपने दोनों उपमुख्यमंत्रियों को मैदान में उतारकर अपनी ”डबल इंजन सरकार” की ताकत दिखाना चाहती है. ग्रैंड अलायंस (आरजेडी-कांग्रेस-लेफ्ट) युवा और रोजगार के मुद्दों के जरिए जनता तक पहुंचने की कोशिश.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा अगर दोनों अपनी-अपनी सीटें जीतकर बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ाने में कामयाब रहे तो इससे पार्टी का मनोबल मजबूत होगा. लेकिन अगर इनमें से किसी भी सीट पर झटका लगता है तो इसका असर पूरे चुनावी समीकरण पर पड़ सकता है.
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