एनडीए की प्रचंड लहर पर बोले केंद्रीय मंत्री- ‘बिहार ने अराजकता को नकारा, सुशासन को चुना’
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शुरुआती नतीजों ने सियासी माहौल गर्म कर दिया है. रुझानों में एनडीए को भारी बढ़त मिलते ही बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह उन्होंने महागठबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बिहार की जनता जेल-बेल, भ्रष्टाचार और जंगलराज राजनीति को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है.
उन्होंने इस जनादेश का असली कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व बताया.
“लालू-राहुल-तेजस्वी जंगलराज के प्रतीक”- गिरिराज सिंह का जोरदार हमला
मीडिया से बात करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा:
“एक तरफ लालू यादव, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव हैं – जो जेल, जमानत, भ्रष्टाचार, जंगल राज और लूट के प्रतीक हैं। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व है। बिहार के लोगों ने शांति, सुरक्षा और विकास के लिए वोट किया है।”
उन्होंने कहा कि जनता ने उस राजनीति को नकार दिया है जो सिर्फ जाति और तुष्टिकरण के आधार पर सत्ता हासिल करना चाहती थी.
“बुजुर्गों ने जंगलराज के दिन देखे, बदलाव का फैसला किया”
गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार के युवाओं ने भले ही 1990-2005 का जंगलराज नहीं देखा हो, लेकिन बुजुर्ग और अधेड़ उम्र के लोगों को आज भी उस दौर की हिंसा, अपहरण, फिरौती और अराजकता याद है.
“ये जीत उन बुजुर्गों की है जिन्होंने तय किया कि वो आने वाली पीढ़ी को दोबारा उस अंधेरे दौर में नहीं धकेलेंगे।”
“शुरू से ही स्पष्ट – एनडीए भारी बहुमत के साथ आ रहा है”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वोटों की गिनती शुरू होते ही माहौल साफ हो गया कहा कि इस बार बिहार में जनता ने महागठबंधन के खिलाफ निर्णायक वोट किया है.
“एनडीए न सिर्फ सरकार बनाने जा रही है बल्कि ऐतिहासिक बहुमत के साथ वापसी भी कर रही है। बिहार की जनता ने जंगलराज के वारिसों को अलविदा कह दिया है।”
एनडीए की प्रचंड लहर-महागठबंधन 50 के पार भी नहीं
शुरुआती रुझानों के मुताबिक-
- एनडीए 190+ सीटों पर आगे
- महागठबंधन 50 के आंकड़े से नीचे
- 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए आसानी से दो-तिहाई बहुमत की ओर
- सबसे महत्वपूर्ण: जेडीयू बीजेपी को पछाड़कर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है
इस लहर ने विपक्ष के सारे समीकरण बिगाड़ दिये हैं.
विपक्ष के हमले रहे बेकार – नीतीश कुमार ने ताकत को बनाया अपनी सबसे बड़ी ताकत
चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष ने अपने भाषणों में नीतीश कुमार की उम्र, कमजोरी और थकान को मुद्दा बनाया था.
तेजस्वी यादव ने रोजगार और बेरोजगारी को भुनाने की कोशिश की और नीतीश को “रिटायर” करने की राजनीतिक रणनीति अपनाई।
लेकिन नतीजे बिल्कुल विपरीत आये.
नीतीश कुमार ने-
- गांव-गांव जाकर जनता से संवाद किया
- हर रैली में विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया
- एनडीए सरकार का विकास मॉडल सामने रखा
- 75 साल की उम्र में उन्होंने लगातार मैदान का दौरा किया
नतीजा: विपक्ष के सारे दांव बेकार गये.
राजनीतिक विश्लेषण: गिरिराज के बयान से संकेत
गिरिराज सिंह के इस आक्रामक बयान के पीछे कई राजनीतिक संदेश छिपे हैं:
- एनडीए चुनाव को “जंगल राज बनाम सुशासन” की लड़ाई के रूप में पेश करना चाहता है
- महागठबंधन की नेतृत्वहीनता को मुद्दा बना रहे हैं
- युवाओं और नए मतदाताओं को “स्थिर सरकार बनाम अराजकता” का विकल्प दिखाने के लिए
- और बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को “जनता की पहली पसंद” के रूप में स्थापित करना है.
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