बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब तक की सबसे चर्चित सीट छपरा विधानसभा सीट यह बन गया है. इस बार इस सीट पर मुकाबला इसलिए बेहद रोमांचक हो गया है राष्ट्रीय जनता दल (राजद) यहीं से हैं भोजपुरी सुपरस्टार खेसरी लाल यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. अब इस सीट की चर्चा देशभर के राजनीतिक गलियारों में हो रही है.
तेजस्वी यादव ने लिखी ”छपरा की राजनीतिक पटकथा”
सूत्रों के मुताबिक, राजद नेता तेजस्वी यादव इस पूरे रणनीतिक फैसले के पीछे वह खुद हैं. तेजस्वी यादव किसी भी कीमत पर छपरा विधानसभा सीट जीतना चाहते थे और इसके लिए उन्हें एक लोकप्रिय चेहरे की जरूरत थी – उनकी ये तलाश आखिरकार पूरी हो गई. खेसरी लाल यादव लेकिन यह ख़त्म हो गया. पहले चर्चा थी कि ये हैं खेसरी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी उन्हें टिकट तो दिया जाएगा, लेकिन कागजी कार्रवाई संबंधी कुछ दिक्कतों के चलते वह चुनाव नहीं लड़ सकीं। इसके बाद पार्टी ने खेसारी लाल यादव को मैदान में उतारने का फैसला किया.
गढ़ बीजेपी का, लेकिन प्रभाव पुराना लालू परिवार का
छपरा सीट परंपरागत रही है बीजेपी का गढ़ माना गया हे। हालाँकि, परिसीमन से पहले यह क्षेत्र लालू प्रसाद यादव प्रभाव क्षेत्र में रहा है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2005 से ही छपरा सीट पर जेडीयू या बीजेपी का दबदबा रहा है रही है- जो एनडीए की मजबूत पकड़ को दर्शाता है. 2020 चुनाव बीजेपी के अंदर सीएन गुप्ता यहां से जीत दर्ज की थी.
इस बार बीजेपी ने नया चेहरा पेश किया
सारण जिले की इस चर्चित सीट से इस बार बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक सीएन को मैदान में उतारा है. गुप्ता का स्थान छोटी लड़की को उम्मीदवार बनाया गया है, जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. इसका मतलब यह है कि इस बार छपरा की लड़ाई सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच नहीं है बीजेपी बनाम राजद यह प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है.
खेसारी लाल यादव की एंट्री से चुनाव में नया मोड़!
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजद ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार का ऐलान कर दिया है. खेसरी लाल यादव पार्टी में शामिल किया गया. उनका सितारा अपील, लोकप्रियता और युवा फैन फॉलोइंग इसे देखते हुए पार्टी ने उन्हें सीधे छपरा जैसी हाई-प्रोफाइल सीट से उम्मीदवार बना दिया.
ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है राजद की सोची समझी रणनीति – जिसका मकसद भोजपुरी क्षेत्र में मनोरंजन जगत से जुड़े युवाओं और वोटरों को जोड़ना है।
छपरा में “सितारा बनाम गढ़” की लड़ाई
छपरा की लड़ाई अब पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है.सितारा बनाम गढ़”बन गया है- एक तरफ बीजेपी का पुराना जनाधार और संगठन, दूसरी तरफ खेसारी लाल यादव का करिश्मा और तेजस्वी यादव की रणनीति.
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या खेसारी लाल यादव अपनी लोकप्रियता को वोटों में बदल पाएंगे या फिर बीजेपी एक बार फिर अपना गढ़ बचाने में कामयाब होगी.
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