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Sunday, October 26, 2025
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छठ के बाद बिहार से लौटेंगे 20 लाख प्रवासी, चुनाव में भागीदारी पर पड़ सकता है असर! लोकजनता


पटना: बिहार में दिवाली और छठ पर्व की धूम के बीच विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल भी गर्म हो गया है. लेकिन इस बीच एक अहम तथ्य सामने आया है- छठ पर्व के बाद करीब 20 लाख प्रवासी मजदूर अपने काम पर लौट जायेंगे.जिससे उनके मतदान में भाग लेने की संभावना कम हो जाएगी।

पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर होना ही था। ऐसे में बड़ी संख्या में प्रवासियों के राज्य छोड़ने का सीधा असर चुनावी भागीदारी पर पड़ सकता है.


छठ पर्व के बाद वापसी की बड़ी लहर

त्योहारों के दौरान प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ रहने के लिए बड़ी संख्या में बिहार लौटे हैं। दिवाली और छठ मना सकते हैं. रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान 28 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच 14 लाख यात्रियों ने वापसी टिकट बुक कराए हैंजबकि 6 से 10 नवंबर के बीच 6 लाख यात्री कन्फर्म टिकट ले लिया है.

रेलवे का अनुमान है कि जनरल कोच से भी करीब 10 लाख यात्री यात्रा करेंगे. इस का मतलब है कि छठ के तुरंत बाद 20 लाख से ज्यादा प्रवासी बिहार से बाहर लौटेंगे.


रेलवे ने 4000 अतिरिक्त ट्रेनें चलाईं

त्योहारों के दौरान यात्रियों की भारी भीड़ को देखते हुए रेलवे ने विशेष इंतजाम किए हैं. 4000 अतिरिक्त ट्रेनों के साथ यात्राएँ चलाने का निर्णय लिया गया है। पिछले साल 2024 में 8 नवंबर से 14 नवंबर लगभग बीच में 42 लाख यात्री बिहार से लौटा था. इस साल यह संख्या कुछ कम रहने की उम्मीद है, लेकिन रेलवे फिर भी 12,000 राउंड सैकड़ों विशेष ट्रेनों की योजना बनाई गई है।


प्रवासियों की भागीदारी पर सवाल

पूंजी पटना जंक्शन, राजेंद्र नगरऔर दानापुर स्टेशन लेकिन घर लौट रहे कई प्रवासी मजदूरों ने कहा कि वे “छठ के बाद काम पर लौटने से पहले वोट जरूर डालूंगीहालांकि, कर्मचारियों व अधिकारियों में चुनावी उत्साह अपेक्षाकृत कम है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि प्रवासियों की इस बड़ी वापसी का असर कई विधानसभा सीटों के नतीजों पर ऐसा हो सकता है, खासकर शहरी इलाकों और उन इलाकों में जहां बाहरी मजदूरों की संख्या ज्यादा है.


चुनाव आयोग और प्रशासन के लिए चुनौती

त्योहारों और प्रवासियों की आवाजाही को देखते हुए चुनाव आयोग और प्रशासन मतदान व्यवस्था एवं सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा। खासकर छठ के बाद की अवधि में. भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधनऔर मतदान केंद्रों तक पहुंच इसे सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.



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