बिहार विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण के प्रचार के बीच उस वक्त सियासी माहौल गर्म हो गया जब राजद सुप्रीमो… लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर बड़ा बयान दिया. लालू यादव ने अब साफ कह दिया है नीतीश कुमार पर कोई भरोसा नहीं बचा है ओर वो किसी भी हाल में उनसे हाथ नहीं मिलाएंगे.
यह बयान ऐसे वक्त आया है जब बिहार में चुनाव प्रचार चरम पर है और सभी पार्टियां वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही हैं. लालू यादव के इस बयान पर एक राजनीतिक विश्लेषक ने भी आपत्ति जताई है. बड़ा राजनीतिक संकेत सहमत, जो राज्य में नए राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा करता है।
नीतीश-लालू रिश्तों में उतार-चढ़ाव
पिछले दो दशकों में बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और लालू यादव कई बार एक दूसरे के साथ और खिलाफ राजनीति कर चुके हैं.
- 2015 और 2022 नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होकर लालू यादव से हाथ मिला लिया था.
- उस दौरान तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बनाया गया.
- दोनों बार लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद का दावा नहीं किया और नीतीश को खुली राह दे दी.
लेकिन बार-बार गठबंधन बनाने और फिर अलग होने की नीतीश की रणनीति ने अब लालू यादव को साफ संदेश देने पर मजबूर कर दिया है “नीतीश अब किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं हैं।”
नीतीश कुमार की राजनीतिक रणनीति और जातीय समीकरण
नीतीश कुमार ने जातीय समीकरणों का इस्तेमाल कर बिहार की राजनीति में मजबूत आधार तैयार किया.
- 2005 में उन्होंने कुर्मी, कोइरी, अति पिछड़ा वर्ग और महादलितों का नया गठबंधन बनाया.
- सिर्फ नीतीश की जाति कुर्मी की आबादी 2.8%जबकि आबादी यादवों की है 14% से अधिक है।
- बीजेपी के ऊंची जाति के वोट बैंक से जुड़कर उन्होंने लंबे समय तक बिहार की सत्ता बरकरार रखी.
नीतीश की राजनीतिक रणनीति का बड़ा असर यह हुआ कि यादव वोट बैंक कभी बीजेपी की ओर नहीं गया. इससे भाजपा स्वतंत्र रूप से मजबूत नहीं हुई, और नीतीश की भूमिका हमेशा निर्णायक रहती है रह गया.
क्या लालू का बयान बदल देगा बिहार का सियासी संतुलन?
अब जब लालू यादव ने ये साफ कर दिया है नीतीश कुमार से कोई गठबंधन संभव नहीं हैऐसे में बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं.
यह वक्तव्य-
✅महागठबंधन समर्थकों में भर सकता है जोश
✅ एनडीए के भीतर भी रणनीतिक हलचल बढ़ सकती है
✅ अनिर्णीत मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं
वोटिंग से पहले बड़ा सियासी उलटफेर
मंगलवार को दूसरे चरण का मतदान होने वाला है. ऐसे में बिहार के चुनावी माहौल में लालू यादव का ये बयान प्रासंगिक है. नया मोड़ ला सकते हैं.
जानकारों का मानना है कि इस बयान का वोटिंग पैटर्न और गठबंधन आधारित राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है.
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