24.3 C
Aligarh
Wednesday, November 12, 2025
24.3 C
Aligarh

सारंडा वन्य जीव अभ्यारण्य पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दोहरा चरित्र उजागर-गीता कोड़ा


रोहन निषाद/न्यूज़ 11 भारत

चाईबासा/डेस्क: झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) द्वारा सारंडा वन्यजीव अभयारण्य के विरोध में 16 नवंबर को होने वाले आर्थिक नाकेबंदी को ‘नैतिक समर्थन’ दिये जाने के बाद राजनीतिक हलकों में तीखी बहस शुरू हो गयी है. झामुमो सांसद श्रीमती जोबा माझी ने कहा कि “जब तक सांस और आवाज है, आदिवासियों और मूलवासियों के हक की लड़ाई जारी रहेगी।” लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जिस फैसले पर झामुमो ‘लड़ाई’ की बात कर रहा है, वही फैसला उसकी ही सरकार ने कैबिनेट में पारित किया था.

पूर्व सांसद एवं भाजपा नेत्री स्व. गीता कोड़ा ने इसे झारखंड मुक्ति मोर्चा का दोहरा चरित्र बताया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ झामुमो सरकार ने वन्य अभ्यारण्य को मंजूरी दी, वहीं दूसरी तरफ उसी फैसले के विरोध में सामाजिक संगठनों के पीछे छुपकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है. यह सार्वजनिक धोखे और राजनीतिक पाखंड का स्पष्ट उदाहरण है।

गीता कोड़ा ने सवाल उठाया कि जब राज्य में झामुमो की अपनी सरकार है तो फिर ‘संघर्ष’ और ‘आंदोलन’ का नाटक क्यों? अगर सचमुच आदिवासी हितों की रक्षा की मंशा है तो सरकार कैबिनेट के फैसले को रद्द कर पेसा कानून को पूरी तरह लागू कर सारंडा के ग्रामीणों के अधिकारों को सुरक्षित करे.

भाजपा का स्पष्ट मानना ​​है कि सारंडा की धरती शहीदों की धरती है, झामुमो यहां के लोगों को गुमराह कर राजनीतिक हित साधने का प्रयास कर रही है. सारंडा की जनता को अब समझना होगा कि झामुमो की ‘एक तरफ सरकार और दूसरी तरफ आंदोलन’ की नीति सिर्फ दिखावा है.

झामुमो विधायकों और सांसदों को स्पष्ट करना चाहिए कि वे सारंडा सेंचुरी मामले पर हेमंत कैबिनेट के फैसले के पक्ष में हैं या विरोध में?

यह भी पढ़ें: अहिल्यापुर थाना क्षेत्र के परहेता गांव में सड़क दुर्घटना में महिला की मौत, बेटा व पोता घायल।

FOLLOW US

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
spot_img

Related Stories

आपका शहर
Youtube
Home
News Reel
App